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Pradosh vrat: शुक्रवार को पड़ रहा है प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat:  हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।  जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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Pradosh Vrat:  हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।  हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है और अगर त्रयोदशी तिथि पूरा एक दिन पार करके अगले दिन भी हो, तो प्रदोष व्रत उस दिन किया जाता है, जिस दिन प्रदोष काल होता है। प्रदोष काल रात्रि के प्रथम प्रहर, यानि सूर्यास्त के तुरंत बाद के समय को कहते हैं। जानिए पूजा का सही समय और पूजा विधि। इस बार 31 मई को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। शुक्रवार के दिन होने के कारण इसका नाम शुक्र प्रदोष व्रत होगा। जानें शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल रात्रि के प्रथम प्रहर, यानी सूर्यास्त के तुरंत बाद के समय को कहा जाता है और कल के दिन सूर्यास्त शाम 07 बजकर 19 मिनट पर होगा, जबकि त्रयोदशी तिथि शाम 05:17 पर ही समाप्त हो जायेगी, यानी कल के दिन त्रयोदशी तिथि के समय प्रदोष काल नहीं होगा। वहीं आज के दिन द्वादशी तिथि के समाप्त होने के बाद, यानी शाम 05:17 के बाद सूर्यास्त होगा। जानकारी के लिये आपको बता दूं कि आने वाले कल की तरह आज भी सूर्यास्त शाम 07 बजकर 19 मिनट पर ही होगा, लेकिन फर्क इतना है कि कल के दिन त्रयोदशी तिथि के समय प्रदोष काल नहीं होगा, जबति आज के दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय रहेगी।

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शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि
ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर सभी कामों से निवृत्त होकर भगवान शिव का स्मरण करें। इसके साथ ही इस व्रत का संकल्प करें। इस दिन भूल कर भी कोई आहार न लें। शाम को सूर्यास्त होने के एक घंटें पहले स्नान करके सफेद कपडे पहने।

इसके बाद ईशान कोण में किसी एकांत जगह पूजा करने की जगह बनाएं। इसके लिए सबसे पहले गंगाजल से उस जगह को शुद्ध करें फिर इसे गाय के गोबर से लिपे। इसके बाद पद्म पुष्प की आकृति को पांच रंगों से मिलाकर चौक को तैयार करें।

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इसके बाद आप कुश के आसन में उत्तर-पूर्व की दिशा में बैठकर भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव का जलाभिषेक करें साथ में ऊं नम: शिवाय: का जाप भी करते रहें। इसके बाद विधि-विधान के साथ शिव की पूजा करें फिर इस कथा को सुन कर आरती करें और प्रसाद सभी को बाटें।

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