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Shanichari Amavasya 2022 : 30 अप्रैल को है शनिश्चरी अमावस्या, जानिए शुभ मुहूर्त-स्नान-दान और महत्व

आइए जानते हैं शनि अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त-स्नान-दान और महत्व के बारे में।

Shanichari Amavasya 2022- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/ EXLOVEBACKMANTRA Shanichari Amavasya 2022

Highlights

  • इस बार शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लग रहा है।
  • अमावस्या जब शनिवार को पड़ती है तो वह शनिश्चरी अमावस्या कहलाती है।

30 अप्रैल को वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और शनिवार का दिन है। अमावस्या तिथि 30 अप्रैल को देर रात 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। उसके बाद वैशाख शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। इस दिन स्नानदान श्राद्ध आदि की अमावस्या है साथ ही शनिवार का दिन है और अमावस्या जब शनिवार को पड़ती है तो वह शनिश्चरी अमावस्या कहलाती है। 

साथ ही इस बार शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। हालांकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। आइए जानते हैं शनि अमावस्या की शुभ मुहूर्त-स्नान-दान और महत्व के बारे में।

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शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार,  वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 29 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 57 मिनट से  शुरु हो रही जो 30 अप्रैल दिन शनिवार देर रात 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। उसके बाद वैशाख शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। 30 अप्रैल को ही शनि अमावस्या मनाई जाएगी। 

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स्नान-दान मुहूर्त

शनि अमावस्या के दिन 30 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट तक प्रीति योग रहेगा।  प्रीति योग का अर्थ है- प्रेम। ये योग प्रेम का विस्तार करने वाला है। साथ ही रात 8 बजकर 13 मिनट तक अश्विनी नक्षत्र रहेगा। ज्योतिष शास्त्र की गणनाओं के अनुसार 27 नक्षत्रों में से अश्विनी को पहला नक्षत्र माना जाता है। ये नक्षत्र यात्रा आरंभ करने के लिए, कृषि के लिए, नए वस्त्र खरीदने और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है। ऐसे में शनि अमावस्या के दिन सुबह से स्नान और दान कर सकते हैं। 

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार किसी भी महीने की अमावस्या को स्नान दान और पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण का बहुत ही महत्व होता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिये और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिये आज दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए। 

महत्व

शनि अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए। आप किसी भी शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा करें। साथ ही उनको काला या नीला वस्त्र, नीले फूल, काला तिल, सरसों का तेल आदि चढ़ाएं। इस दिन आपको जरूरतमंद लोगों को छाता, जूते-चप्पल, उड़द की दाल, काला तिल, सरसों का तेल, शनि चालीसा आदि का दान करना चाहिए। इसके साथ भोजन कराने और असहाय लोगों की मदद करने से भी कर्मफलदाता शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन आप शनि देव के मंत्रों का जाप जरूर करें। ऐसा करने से शनि देव की कृपा आप पर बनी रहेगी। 

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