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Hindi News पैसा बजट 2022 Budget 2020: जिंस कारोबारियों ने की कारोबार लागत कम करने की मांग, STT व CTT को बनाया जाए तर्कसंगत

Budget 2020: जिंस कारोबारियों ने की कारोबार लागत कम करने की मांग, STT व CTT को बनाया जाए तर्कसंगत

सीटीटी लागू होने के बाद 2013 से जिंस बाजारों में जहां 2011-12 में 69,449 करोड़ रुपए प्रतिदिन के सौदे हो रहे थे वह 2018- 19 में कम होकर 27,291 करोड़ रुपए प्रति दिन रह गए।

CPAI urges govt to address high cost of trading in Indian mkts- India TV Paisa CPAI urges govt to address high cost of trading in Indian mkts

नई दिल्‍ली। जिंस बाजार प्रतिभागियों के शीर्ष संगठन कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स ऑफ इंडिया (सीपीएआई) ने सरकार से भारतीय बाजार में कारोबार की ऊंची लागत को कम करने का आग्रह किया है। उसका कहना है कि ऊंची लागत के कारण सौदों में भारी कमी आई है। वित्त मंत्रालय को दिए प्रस्तुतीकरण में सीपीएआई ने कहा कि भारत में विभिन्न परिसंपत्तियों में लेनदेन की लागत अमेरिका, चीन और सिंगापुर में लेनदेन की लागत से चार से 19 गुना अधिक है। इसकी वजह प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) और जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) का अधिक होना है।

संगठन चाहता है कि सरकार एसटीटी और सीटीटी की दरों को घटाए या फिर पूरी तरह से हटा दे ताकि सौदों की संख्या और आकार को बढ़ाया जा सके। सीपीएआई ने कहा कि कारोबार की अधिक लागत की वजह से सौदों की मात्रा में काफी कमी आई है। इससे पूंजी की स्थिति पर असर पड़ा है और शेयर के खरीद-फरोख्त करने पर आने वाली लागत बढ़ गई है।

संगठन ने सरकार से कहा है कि एसटीटी को व्यय मानने के बजाये पहले भुगतान किया गया रिफंड नहीं होने वाला कर मानना चाहिए या फिर आयकर की धारा 88 ई के तहत इसपर छूट दी जानी चाहिए जैसा कि 2008 तक व्यवस्था रखी गई थी। ऊंची कारोबार लागत के कारण जिंस कारोबार के सौदों में भारी कमी आई है। सीटीटी लागू होने के बाद 2013 से जिंस बाजारों में जहां 2011-12 में 69,449 करोड़ रुपए प्रतिदिन के सौदे हो रहे थे वह 2018- 19 में कम होकर 27,291 करोड़ रुपए प्रति दिन रह गए। इस प्रकार सौदों के मूल्य में 61 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

इस बीच, एचडीएफसी ने आम बजट से पहले रियल एस्टेट क्षेत्र की फंसी परियोजनाओं के लिए बैंक कर्ज के एक बार पुनर्गठन की वकालत की है। एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि ऋणदाता परियोजनाओं के लिए नया कर्ज नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि जिन इकाइयों का ऋण पहले एनपीए हो चुका है उनका नया कर्ज पहले दिन ही एनपीए बन जाता है। पारेख की ओर से यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब रियल एस्टेट क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है और सरकार ने फंसी परियोजनाओं के लिए 25,000 करोड़ रुपए के कोष की घोषणा की है।

पारेख ने कहा कि हमने राष्ट्रीय आवास बैंक और अन्य लोगों से प्रावधानों और परियोजनाओं के एनपीए के मुद्दों पर फिर से गौर करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हम नियामकों से बातचीत कर रहे हैं, हमने वित्त मंत्रालय से बातचीत की है, ऋण का एकबार पुनर्गठन बहुत जरूरी है।

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