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पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इस बहस को भ्रामक बताया कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी आयकर कानून में किया गया नया प्रावधान पक्षपातपूर्ण है।

पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट- India TV Paisa पक्षपाती नहीं है आयकर कानून, सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस बहस को भ्रामक बताया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी आयकर कानून में किया गया नया प्रावधान पक्षपातपूर्ण है और यह करदाताओं को दो वर्ग में बांटता है। सुप्रीम कोर्ट को आयकर कानून की धारा 139एए में कुछ भी गलत नहीं लगता है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सभी करदाता एक ही श्रेणी में आते हैं और जिस धारा को लेकर चुनौती दी गई है उसमें उन्हें एक समान ही रखा गया है।

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आयकर कानून में शामिल की गई नई धारा 139एए के तहत एक जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करने अथवा स्थायी खाता संख्या (PAN) के लिए आवेदन करने के समय आधार नंबर का उल्लेख करना या फिर आधार के लिए किए गए आवेदन की पंजीकरण संख्या का उल्लेख किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी कानून की वैधता को उन लोगों की अलग श्रेणी मानकर चुनौती नहीं दी जा सकती है जो कि कानून के एक खास प्रावधान को लेकर एतराज जता रहे हैं और उन्हीं के आधार पर इसे पक्षपातपूर्ण ठहराया जा रहा है।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई कानून बनाया जाता है तो उसके दायरे में जो भी लोग आते हैं उन्हें उसका पालन करना चाहिए। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं है कि यह नागरिक का अधिकार है कि वह विधायिका में बने किसी खास कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर अदालत में पहुंच सकता है। न्यायमूर्त एके सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि केवल इस आधार पर कि कुछ लोग कानून की एक धारा का विरोध कर रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं लगाया जा सकता कि वह अपने आप में एक अलग श्रेणी बन गई है। इस आधार पर दो श्रेणियां नहीं बनाई जा सकती हैं कि एक श्रेणी वह जो योजना के दायरे में आना चाहते हैं और दूसरी उन लोगों कि जो दायरे में नहीं आना चाहते हैं।

अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता की इस दलील को भ्रामक बताया कि आयकर कानून का प्रावधान अपने आप में पक्षपातपूर्ण है क्योंकि इससे दो श्रेणियां बन गई हैं एक उनकी जो आधार में पंजीकरण कराना चाहते हैं और दूसरी उनकी जो इसमें पंजीकरण नहीं कराना चाहते हैं।

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