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चिदंबरम ने कहा- सामान्य कामकाज करते हुए दी मंजूरी, स्वामी ने अवैध तरीका अपनाने का लगाया था आरोप

चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने एयरसेल-मैक्सिस सौदे को सामान्य कामकाज करते हुए मंजूरी दी थी। विदेशी निवेश मूल्य को देखते हुए एफआईपीबी पर मंजूरी मांगी।

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चेन्नई। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने एयरसेल-मैक्सिस सौदे को सामान्य कामकाज करते हुए मंजूरी दी थी। एयरसेल-मैक्सिस मामले में, विदेशी निवेश मूल्य को देखते हुए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने मामले को वित्त मंत्री को सौंपा और उस पर मंजूरी मांगी।

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चिदंबरम ने एक वक्तव्य में कहा, वित्त मंत्री होने के नाते, मैंने सामान्य कामकाज करते हुए इसे मंजूरी दी। चिदंबरम की यह टिप्पणी इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा सीबीआई को एयरसेल-मैक्सिस सौदे के विभिन्न पहलुओं को लेकर की जा रही जांच की स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए कहने के एक दिन बाद सामने आई है।

मामले में सोमवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान भाजपा नेता सुब्रमणियम स्वामी ने पीठ से कहा कि उन्हें सीबीआई से जवाब मिला है कि वह मामले की सभी कोणों से जांच कर रही है। इसमें एक कोण यह भी है कि वर्ष 2006 में तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम ने सौदे को एफआईपीबी मंजूरी दी है। स्वामी ने पीठ से कहा कि सीबीआई को मामले में स्थिति रिपोर्ट सौंपने को कहा जाना चाहिए।

स्वामी ने आवेदन में आरोप लगाया है कि इस सौदे को 2006 में वित्त मंत्री ने अवैध रूप से एफआईपीबी मंजूरी दी है। उनका दावा है कि पूर्व वित्त मंत्री ने ऐसे सौदे को एफआरईपीबी मंजूरी दी है जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) को भेजा जाना चाहिए था क्योंकि उसे ही 600 करोड़ रुपए से अधिक के विदेशी निवेश को मंजूरी देने का अधिकार था।

उन्होंने कहा, इस सौदे में 3,500 करोड़ रुपए की राशि शामिल थी। इसे वित्त मंत्री ने एफआईपीबी में ही मंजूरी दे दी जबकि इसे सीसीईए को भेजा जाना चाहिए था। इसमें शामिल निवेश राशि 600 करोड़ रुपए से कहीं अधिक थी।

चिदंबरम ने अपने वक्तव्य में कहा है कि एफआईपीबी में पांच सचिव होते हैं और वह मामलों का परीक्षण कर उसे मंजूरी अथवा खारिज करने के लिए भेजते हैं। वह निवेश मूल्य को देखते हुए नियमों और दिशानिर्देशों के मुताबिक हर मामले को सीसीईए अथवा वित्त मंत्री को भेजते हैं।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, सीबीआई ने इस मामले से जुड़े हर अधिकारी का बयान रिकॉर्ड किया है। उस समय के सचिव और अतिरिक्त सचिव सहित हर एक ने यही कहा कि मामले को वित्त मंत्री को सही सौंपा गया, वही इस मामले में मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकरण थे और यही वजह है कि सौदे को सामान्य कामकाज करते हुए मंजूरी दी गई।

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