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Hindi News पैसा बिज़नेस केयर्न पर मध्यस्थता अदालत का निर्णय आएगा 2020 में, भारत सरकार ने पिछली तिथि से मांगा है 10,247 करोड़ रुपए का कर

केयर्न पर मध्यस्थता अदालत का निर्णय आएगा 2020 में, भारत सरकार ने पिछली तिथि से मांगा है 10,247 करोड़ रुपए का कर

केयर्न इंडिया ने 2015 में पिछली तारीख से कर की मांग को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में चुनौती दी थी।

Arbitration Tribunal delays award in Rs 10,247 cr Cairn retro tax case to mid-2020- India TV Paisa Image Source : ARBITRATION TRIBUNAL DELA Arbitration Tribunal delays award in Rs 10,247 cr Cairn retro tax case to mid-2020

नई दिल्‍ली। केयर्न एनर्जी के खिलाफ 10,247 करोड़ रुपए के पिछली तिथि से लागू कर मांग के मामले में तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पंचाट अब 2020 के मध्य तक ही कोई निर्णय सुना सकेगा। ब्रिटेन की कंपनी ने सोमवार को यह जानकारी दी। ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी ने इस मामले में भारत सरकार के पिछली तिथि से लगाई गई कर मांग के खिलाफ मध्यस्थता अदालत में मामला दायर किया हुआ है।

मध्यस्थता अदालत इस मामले में पिछले साल अगस्त में मुख्य सुनवाई को पूरा कर चुकी है। भारत सरकार ने पिछली तिथि से लागू कर के मामले में केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपए की कर मांग की है। सुनवाई पूरी होने के बाद माना जा रहा था कि फरवरी, 2019 में मामले में फैसला आ जाएगा, लेकिन मार्च में कहा गया कि फैसला 2019 के अंत तक और अब 2020 की गर्मियों तक टाल दिया गया है।

केयर्न ने जारी एक वक्तव्य में कहा कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण अभी तक इसको लेकर कोई विशेष तारीख बताने की स्थिति में नहीं है। माना जा रहा है कि 2020 की गर्मियों में वह इस स्थिति में होगा। कंपनी ने कहा कि न्यायाधिकरण ने फैसले में देरी की कोई वजह नहीं बताई है। केयर्न भारत में 2014 के उसके निवेश पर हुए कुल 1.4 अरब डॉलर से अधिक के नुकसान की भरपाई चाहती है।

देश को सबसे बड़ी तेल खोज देने वाली कंपनी को जनवरी, 2017 में आयकर विभाग से नोटिस मिला था, जिसमें उससे समूह कंपनी के 2006 में किए गए पुनर्गठन की जानकारी मांगी गई थी। इसके साथ ही आयकर विभाग ने केयर्न एनर्जी की पूर्ववर्ती अनुषंगी केयर्न इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी को कुर्क कर दिया। आयकर विभाग ने मार्च, 2015 में कंपनी से समूह के आंतरिक पुनर्गठन में हुए पूंजीगत लाभ पर 10,247 करोड़ रुपए कर चुकाने को कहा था।

केयर्न एनर्जी ने 2010-11 में अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया को वेदांता को बेच दिया था। अप्रैल, 2017 में केयर्न इंडिया और वेदांता के विलय के बाद ब्रिटेन की कंपनी की केयर्न इंडिया में हिस्सेदारी वेदांता में करीब पांच प्रतिशत हिस्सेदारी में बदल गई। केयर्न एनर्जी के वेदांता में शेयरधारिता को कुर्क करने के अलावा आयकर विभाग ने शेयरधारिता के बदले 1,140 करोड़ रुपए के लाभांश को भी जब्त कर लिया। इसके साथ ही 1,590 करोड़ रुपए के कर रिफंड को भी समायोजित कर दिया। केयर्न इंडिया ने 2015 में पिछली तारीख से कर की मांग को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में चुनौती दी थी।

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