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Air India की जरूरत पर मुख्‍य आर्थिक सलाहकार ने उठाया सवाल, प्रतिस्‍पर्धा में टिकना है मुश्किल

अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि निजी क्षेत्र की विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धा में सरकारी एयरलाइन कंपनी Air India (एयर इंडिया) के बने रहने का मतलब क्या है।

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नई दिल्‍ली। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने आज कहा कि निजी क्षेत्र की विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धा में सरकारी एयरलाइन कंपनी Air India (एयर इंडिया) के प्रदर्शन में सुधार हुआ है पर उनके मन में बार-बार ख्‍याल आता है कि इस एयरलाइन के बने रहने का मतलब क्या है।

इस राष्ट्रीय विमानन सेवा कंपनी को डूबने से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने 30,000 करोड़ रुपए का सहायता पैकेज दे रखा है। कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति सुधाने के प्रयासों में लगी हुई। मार्च, 2016 में समाप्त वित्त वर्ष में एयरलाइन ने 105 करोड़ रुपए का परिचालन मुनाफा कमाया था।

  • सुब्रमण्यन ने कहा, इंडिगो और जेट एयरवेज के साथ एयर इंडिया का होना, इनमें बिना एयर इंडिया के होने से बिल्कुल अलग है।
  • एक सवाल यह है कि क्या जेट एयरवेज और इंडिगो के साथ एयर इंडिया को भी बनाए रखने की कोई जरूरत रहती है।
  • यह एक ऐसा सवाल है जिसमें हम फिलहाल नहीं जाना चाहेंगे। उन्‍होंने कहा कि मुद्दे की बात यह है कि प्रतिस्पर्धा से एयर इंडिया का प्रदर्शन सुधरा है।
  • एयर इंडिया 2015-16 में परिचालन लाभ कमा पाई है। हालांकि, एयरलाइन पर 46,570 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें से 15,900 करोड़ रुपए विमानों के अधिग्रहण के लिए हैं।
  • वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में एयरलाइन को 30,231 करोड़ रुपए के राहत पैकेज के तहत 1,800 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
  • एक ओर जहां एयरइंडिया को निजी हाथों में सौंपे जाने की चर्चा है, वहीं सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।
  • 2016-17 के आर्थिक सर्वे में भी एयर इंडिया के संबंध में अप्रत्‍यक्ष तौर पर संदर्भ पेश किए गए हैं।

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