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Hindi News पैसा बिज़नेस प्रमुख बंदरगाहों की कंटेनर ढुलाई अप्रैल-अगस्त में करीब 25 प्रतिशत गिरी: आईपीए

प्रमुख बंदरगाहों की कंटेनर ढुलाई अप्रैल-अगस्त में करीब 25 प्रतिशत गिरी: आईपीए

अप्रैल-अगस्त के दौरान चेन्नई, कोचिन और कामराजार बंदरगाहों की ढुलाई में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आयी। वहीं, जेएनपीटी और कोलकाता बंदरगाहों की ढुलाई 20 प्रतिशत से अधिक घटी।

<p>कंटेनर कार्गो में...- India TV Paisa Image Source : GOOGLE कंटेनर कार्गो में गिरावट

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के प्रमुख बंदरगाहों की माल ढुलाई (माल चढ़ाना व उतारना) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अगस्त की अवधि के दौरान करीब 25 प्रतिशत घट गयी। बंदरगाहों के संगठन आईपीए के आंकड़ों से इसकी जानकारी मिली है। भारतीय बंदरगाह संघ (आईपीए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार इन प्रमुख 12 बंदरगाहों की कंटेनर ढुलाई पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 25 प्रतिशत कम होकर 32.5 लाख टीईयू (twenty-foot equivalent unit) पर आ गयी। वजन के हिसाब से माल ढुलाई इस दौरान 22.45 प्रतिशत गिरकर 492.6 लाख टन पर आ गयी। इन बंदरगाहों ने साल भर पहले की समान अवधि में 43.4 लाख टीईयू कंटेनरों व 635.3 लाख टन रही थी।

अप्रैल-अगस्त के दौरान चेन्नई, कोचिन और कामराजार बंदरगाहों की ढुलाई में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आयी। वहीं, जेएनपीटी और कोलकाता बंदरगाहों की ढुलाई 20 प्रतिशत से अधिक घटी। देश में केंद्र के नियंत्रण वाले 12 प्रमुख बंदरगाहों में दीनदयाल (पूर्ववर्ती कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोर्मुगाव, न्यू मंगलूर, कामराजार (पूर्व में एन्नोर) कोचीन, चेन्नई, वी ओ चिदंबरनार, विशाखापत्त्नम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) शामिल हैं। ये 12 प्रमुख बंदरगाह देश के कुल कार्गो का करीब 61 प्रतिशत ढोते हैं। पिछले वित्त वर्ष में इन बंदरगाहों ने 70.5 करोड़ टन माल की ढुलाई की थी।

रेटिंग एजेंसी इकरा ने पहले ही कहा था कि महामारी का सभी कार्गो सेग्मेंट पर असर देखने को मिलेगा, हालांकि कंटेनर सेग्मेंट पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा। अनुमान के मुताबिक 2020-21 में आम कार्गो सेग्मेंट में 5 से 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है, हालांकि कंटेनर सेग्मेंट में गिरावट 12 से 15 फीसदी तक गिर सकती है। कार्गो ट्रैफिक में कंटेनर कार्गो, कोयला, फर्टिलाइजर, पेट्रोलियम प्रोडक्ट और अन्य सेग्मेंट शामिल हैं। महामारी की वजह से लगभग हर क्षेत्र में मांग घटी है, हालांकि गैर जरूरी क्षेत्रों की मांग पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जिससे इनके कारोबार में तेज गिरावट रही है।  

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