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Hindi News पैसा बिज़नेस महंगे Petrol-Diesel से जनता की हो रही जेब ढीली, 2020-21 में 4.51 लाख करोड़ कर राजस्‍व से सरकार ने भरी तिजोरी

महंगे Petrol-Diesel से जनता की हो रही जेब ढीली, 2020-21 में 4.51 लाख करोड़ कर राजस्‍व से सरकार ने भरी तिजोरी

वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व लगभग 56.5 प्रतिशत बढ़ा है।

costly petrol diesel burn people’s pocket governments earned more than Rs 4 lakh crore tax revenue o- India TV Paisa Image Source : PHOTOPEA costly petrol diesel burn people’s pocket governments earned more than Rs 4 lakh crore tax revenue on petroleum products

नई दिल्‍ली। कोरोना महामारी से जूझ रहे देशवासियों की जेब पर जहां एक ओर महंगे पेट्रोल-डीजल की अतिरिक्‍त मार पड़ रही है, वहीं सरकारें इससे अपनी तिजोरी भर रही हैं। सरकार का तर्क है कि देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मुफ्त दवाएं, ऑक्‍सीजन, वेंटीलेटर्स और अन्‍य उपकरणों सहित फ्री वैक्‍सीन के लिए पैसा इसी तिजोरी से खर्च किया जा रहा है।  

सूचना के अधिकार के तहत यह पता चला है कि वित्‍त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व लगभग 56.5 प्रतिशत बढ़कर कुल 4,51,542. 56 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने गुरुवार को बताया कि वित्त मंत्रालय से जुड़े प्रणाली और आंकड़ा प्रबंधन महानिदेशालय (डीजीएसडीएम) ने उनकी अर्जी पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी दी है कि वित्‍त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर 37,806. 96 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया, जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 4,13,735. 60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए।

 आरटीआई से मिले ब्योरे के मुताबिक वित्‍त वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर सरकार को सीमा शुल्क के रूप में 46,046. 09 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली 2,42,267. 63 करोड़ रुपये के स्तर पर रही। यानी दोनों करों की मद में सरकार ने 2019-20 में कुल 2,88,313. 72 करोड़ रुपये कमाए। गौरतलब है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व 2020-21 की उस अवधि में बढ़ा, जब देश भर में महामारी के भीषण प्रकोप की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और अन्य बंदिशों के चलते परिवहन गतिविधियां लंबे समय तक थमी थीं।

अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने कहा कि देश में पेट्रोल-डीजल की महंगाई का बुरा असर केवल आम आदमी पर नहीं, बल्कि समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही कोविड-19 संकट के तगड़े झटके झेल चुकी है। उन्होंने कहा कि वक्त की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें खासकर पेट्रोल-डीजल पर अपने कर-उपकर घटाकर लोगों को महंगाई से राहत दें।

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