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नोटबंदी: जीएसटी से बदलेगा भारत, एनपीए प्रमुख जोखिम: रिजर्व बैंक

आरबीआई ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी में अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने की क्षमता है। इसकी वजह से कुछ असुविधा और वृद्धि दर पर क्षणिक विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी में अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने की क्षमता है। हालांकि, इसकी वजह से जनता को कुछ असुविधा और वृद्धि दर पर क्षणिक विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। केंद्रीय बैंक ने देश में बैंकों की संपत्ति (ऋण कारोबार) की गुणवत्ता में लगातार गिरावट पर चिंता जताई है। रिजर्व बैंक द्वारा भारत में 2015-16 में बैंकिंग क्षेत्र के रूझानों और प्रगति (आरटीपी) तथा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के 14वें संस्करण में ये निष्कर्ष निकाले गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 में कॉरपोरेट क्षेत्र के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार हुआ है, लेकिन कारोबार के लिए झटका लगने का जोखिम कायम है। इसके अलावा बड़े कर्जदारों की संपत्ति की गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि जीएसटी को पूरे देश में लागू करने तथा 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने से घरेलू अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होने की संभावना है। हालांकि इससे जनता को कुछ असुविधा और वृद्धि दर भी कुछ समय के लिए प्रभावित हो सकती है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने एफएसआर के आमुख में लिखा है कि 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने के फैसले से आगे चलकर दूरगामी बदलाव आएंगे। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में लघु अवधि की बाधा तथा जनता को हुई परेशानी के बावजूद इससे घरेलू अर्थव्यवस्था में आगे समय के साथ बड़ा बदलाव आएगा। भुगतान के डिजिटल तरीके को अपनाने से अधिक मध्यस्थता, दक्षता लाभ बढ़ेगा तथा जवाबदेही में इजाफा होगा और पारदर्शिता भी सुधरेगी।

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