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प्रदूषण को कम करने में मददगार हो सकते हैं इलेक्ट्रिक व्‍हीकल, सरकार को बनाना चाहिए इन्‍हें लोकप्रिय

सकार ने पेरिस समझौते में कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने का जो लक्ष्‍य तय किया है, उसे पूरा करने में इलेक्ट्रिक व्‍हीकल एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

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नई दिल्‍ली। वाहनों से निकलने वाला धुआं इस समय पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जब हम वाहन प्रदूषण की बात करते हैं तो सबका ध्‍यान बस, ट्रक और कारों पर ही जाता है और इन्‍हें ही इसका सबसे बड़ा दोषी माना जाता है। यहां हम वाहनों के एक ऐसे वर्ग को अनदेखा कर देते हैं, जो प्रदूषण फैलाने में एक अहम भूमिका निभाता है। यह है टू-व्‍हीलर सेगमेंट। आईआईटी कानपुर द्वारा किए गए एक अध्‍ययन के मुताबिक प्रदूषण फैलाने में ट्रक के बाद दूसरे नंबर पर टू-व्‍हीलर्स ही आते हैं।

मोदी सरकार ने पेरिस समझौते पर हस्‍ताक्षर कर भारत में कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने का जो लक्ष्‍य तय किया है, उसे पूरा करने में इलेक्ट्रिक व्‍हीकल एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सरकार को इन वाहनों को लोकप्रिय बनाने पर ध्‍यान देने की जरूरत है। भारत में इलेक्ट्रिक कार और बस का उपयोग अभी बहुत दूर की बात है, लेकिन सरकार चाहे तो टू-व्‍हीलर सेगमेंट में ज्‍यादा से ज्‍यादा इलेक्ट्रिक व्‍हीकल का उपयोग बढ़ाकर कुछ हद तक प्रदूषण पर लगाम लगा सकती है।

आईआईटी कानपुर के अध्‍ययन के मुताबिक प्रदूषण के लिए कौन कितना जिम्‍मेदार

श्रेणी प्रदूषण (फीसदी में)
ट्रक 46
टू-व्‍हीलर्स 33
फोर-व्‍हीलर्स 10
बस 5
एलसीवी 4
अन्‍य 2

इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर्स के फायदे

  • 100 फीसदी पर्यावरण अनुकूल, कोई प्रदूषण नहीं
  • रनिंग कॉस्‍ट काफी कम होती है। जितना ज्‍यादा चलाएंगे उतनी ज्‍यादा बचत होगी।
  • स्‍टाइल काफी आकर्षक हैं। शानदार लुक्‍स वाले ई-स्‍कूटर बाजार में उपलब्‍ध हैं।
  • इनको चलाना आसान है। लो स्‍पीड वैरिएंट में लाइसेंस की जरूरत नहीं होती।
  • सरकार द्वारा इन्‍हें खरीदने पर सब्सिडी भी उपलब्‍ध कराई जा रही है।

इलेक्ट्रिक व्‍हीकल के नुकसान

  • बैटरी की तकनीक ज्‍यादा एडवांस नहीं है, चार्जिंग में बहुत अधिक समय लगता है।
  • एक बार फुल चार्ज होने पर भी केवल 40-50 किलोमीटर ही चलती हैं।
  • चार्जिंग इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर न होने से शहर से बाहर इनका इस्‍तेमाल नहीं कर सकते।
  • बैटरी को रिप्‍लेस करना बहुत महंगा है, इस पर और काम करने की जरूरत।
  • इनकी स्‍पीड और पिकअप बहुत कम है, जिस पर ध्‍यान देने की जरूरत

एसएमईवी का सुझाव भी है बेहतर

सोसाएटी ऑफ मैन्‍युफैक्‍चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्‍हीकल्‍स (एसएमईवी) ने सरकार को एक सुझाव दिया है। उनका सुझाव है कि कमर्शियल तौर पर उपयोग होने वाले टू-व्‍हीलर्स में से एक निश्चित संख्‍या को इलेक्ट्रिक व्‍हीकल से बदल दिया जाए। इससे एक ओर जहां प्रदूषण कम होगा, वहीं दूसरी ओर इन्‍हें लोकप्रिय बनाने में भी मदद मिलेगी।

  • एसएमईवी के मुताबिक वर्तमान में 21 लाख डिलिवरी बॉय टू-व्‍हीलर का इस्‍तेमाल करते हैं।
  • इनमें से 20 फीसदी को इलेक्ट्रिक व्‍हीकल में बदल दिया जाना चाहिए।
  • ऐसा करने से 161.28 मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्‍साइड का उत्‍सर्जन कम होगा।
  • इतना ही नहीं इस कदम से 10.08 करोड़ लीटर पेट्रोल की भी बचत होगी।

क्‍यों नहीं हो रहे हैं इलेक्ट्रिक व्‍हीकल लोकप्रिय  

  • इलेक्ट्रिक व्‍हीकल की कीमत एक पेट्रोल व्‍हीकल की तुलना में बहुत ज्‍यादा है।
  • हालांकि सरकार द्वारा इस पर सब्सिडी दी जाती हैं, लेकिन वह बहुत कम है।
  • सामान्‍य टू-व्‍हीलर्स के साथ लोग कहीं भी आने-जाने के लिए फ्री हैं, इलेक्ट्रिक व्‍हीकल के साथ ये आजादी नहीं है।
  • टू-व्‍हीलर कंपनियां चार्जिंग इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर नहीं उपलब्‍ध करवा सकतीं क्‍योंकि यह बहुत महंगा काम है।

क्‍या करे सरकार

  • जिस तरह सरकार ने 15 साल से ज्‍यादा पुराने वाहनों को स्‍क्रैप करने को अनिवार्य बनाया है।
  • उसी प्रकार सरकार आईआईटी कानपुर के सुझाव पर 2 फीसदी टू-व्‍हीलर्स को इलेक्ट्रिम में बदलना अनिवार्य करे।
  • स्‍वच्‍छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया की तरह ही इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाना चाहिए।
  • देशभर में चार्जिंग इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर खड़ा करना चाहिए, जिससे इनका उपयोग ज्‍यादा आसान हो सके।
  • कंपनियों को रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए।

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