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वारंट विवाद को अदालत के बाहर निपटाने के लिए एमसीएक्स, एमएसईआई के बीच करार

प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स ने कहा कि उसने वारंट रद्द करने संबंधी विवाद को अदालत से बाहर निपटाने के लिए एमएसईआई से करार किया है।

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नई दिल्ली। अपनी शेयरधारिता को लेकर लंबे समय से जारी विवाद का निपटारा करते हुए प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स ने कहा कि उसने वारंट रद्द करने संबंधी विवाद को अदालत से बाहर निपटाने के लिए एमएसईआई से करार किया है। निपटान के बाद मेट्रोपोलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एमएसईआई) में एमसीएक्स की हिस्सेदारी मौजूदा 3.9 फीसदी से बढ़कर 14.99 फीसदी हो जाएगी। नियामकीय नियमों के अनुसार कोई जिंस एक्सचेंज किसी शेयर बाजार में 15 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी नहीं रख सकता।

एमसीएक्स के पास 41.59 करोड़ वारंट

एमसीएक्स के पास एमएसईआई के एक रुपए अंकित मूल्य के 41.59 करोड़ वारंट हैं। यह मामला बंबई हाई कोर्ट में है। इस बारे में सहमति बनने के बारे में एमसीएक्स ने बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में जानकारी दी। करार के तहत एमएसईआई समान संख्या में वारंटों के एवज में 26.51 इक्विटी शेयर आवंटित करेगा। एमएसईआई इसके अलावा एमसीएक्स के पास शेष 15.07 करोड़ वारंटों को रद्द करेगा।

एमसीएक्स घोटाला में अब तक हुआ क्या?

एफटीआईएल के संस्थापक जिग्नेश शाह जमानत पर बाहर हैं। शाह को 5,600 करोड़ रुपए के नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत ने शाह को दो लाख रुपए पर जमानत दी। प्रवर्तन निदेशालय ने शाह को मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून की धारा 19 के तहत 12 जुलाई को गिरफ्तार किया था। निदेशालय ने एनएसईएल एवं 67 अन्य के खिलाफ पिछले साल मार्च में 20,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था। इसमें एनएसईएल के कोष का गबन करके उसे गैर कानूनी तरीके से निजी संपत्तियों की खरीद में लगाया गया था। आरोप पत्र में 3,721.22 करोड़ रुपए की धनराशि के दुरूपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी।

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