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New Challenges: 2016 में कमजोर ग्लोबल अर्थव्यवस्था और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट मुख्य चुनौतियां

वित्त मंत्री अरुण जेटली का मानना है कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था की सुस्ती और प्राइवेट सेक्टर के इन्वेस्टमेंट में कमी नए साल की मुख्य चुनौतियां होंगी।

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली का मानना है कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था की सुस्ती और प्राइवेट सेक्टर के इन्वेस्टमेंट में कमी नए साल की मुख्य चुनौतियां होंगी। वित्त मंत्री ने कहा, वर्ष समाप्त हो रहा है, अर्थव्यवस्था को चलाने वाले मौजूदा इंजन ही आगे भी कायम रहेंगे। इसके अलावा अर्थव्यवस्था को नीचे ले जाने वाले तीन पक्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था, निजी क्षेत्र के निवेश में कमी और कृषि हैं। वित्त मंत्रालय ने इसी महीने जारी मध्यावधि आर्थिक समीक्षा में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7 से 7.5 फीसदी कर दिया था। इससे पहले इस साल फरवरी में जारी आर्थिक समीक्षा में वृद्धि दर 8.1 से 8.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

कृषि ग्रोथ पर सरकार का जोर

जेटली ने कहा कि यदि हमारी कृषि अच्छी रहती है, तो हम उस आंकड़े के करीब होते जो मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम दे रहे हैं। अच्छी कृषि से न केवल जीडीपी बेहतर होती बल्कि इसका अन्य क्षेत्रों पर भी असर पड़ता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अर्थव्यवस्था को वृद्धि के कई इंजनों की जरूरत है, वैश्विक अनुकूल रुझान भी इनमें से एक इंजन हो सकता था, जो दुर्भाग्य से अभी नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तेजी से बढ़ता निजी क्षेत्र भी इंजन होता, जो नहीं है। बंपर कृषि क्षेत्र भी एक इंजन होता, जो नहीं है। ऐसे में आपको अन्य इंजनों पर निर्भर रहने की जरूरत है, जो निश्चित रूप से सार्वजनिक निवेश, एफडीआई, कुछ स्टार्ट अप्स में निजी निवेश, दूरसंचार और कुछ खपत हैं।

भारत के लिए अच्छी बात तेल की कम कीमत

वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि सकारात्मक पक्ष तेल के घटे दाम और सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भारत के लिए अच्छी बात तेल कीमतें हैं। इसकी वजह से हम सार्वजनिक निवेश कर पा रहे हैं जो वृद्धि के प्रमुख इंजनों में है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश में बढ़ोतरी, एफडीआई का प्रवाह और बेहतर मानसून अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। सुधारों के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ विधायी सुधार बाकी हैं। उन्होंने कहा कि आप इन सुधारों को लें, तो मैं आवश्यक रूप से तीन चीजें देखता हूं। सभी बढ़े हुए संसाधनों को भौतिक ढांचे, सामाजिक ढांचे और सिंचाई में लगाना। यदि आईआईपी के आंकड़े बढ़ते हैं और कुछ अड़चन का रख नहीं दिखाते हैं, तो यह अच्छा रहेगा।

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