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BPCL privatisation: सरकार ने बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98% हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की

सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण को लेकर कार्यवाही तेज कर दी है।

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नई दिल्ली। सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण को लेकर कवायद तेज कर दी है। बोली दस्तावेज के मुताबिक, बीपीसीएल निजीकरण को लेकर सरकार ने बीपीसीएल में अपनी संपूर्ण 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। बीपीसीएल में अपनी संपूर्ण 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए शनिवार को बोलियां आमंत्रित की।

निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने बोली दस्तावेज में कहा कि बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए दो मई को रूचि पत्र जारी किया था। इसमें कहा गया, 'भारत सरकार बीपीसीएल में अपने 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर यानि बीपीसीएल की इक्विटी शेयर पूंजी में से कुल 52.98 प्रतिशत साझेदारी के रणनीतिक विनिवेश के साथ ही प्रंबधन नियंत्रण को रणनीतिक खरीदार का प्रस्ताव दे रही है।' सरकार ने रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के प्रबंधन और इस विषय पर सलाह देने के लिए डेलोइट टोशे टोमात्सु इंडिया एलएलपी को अपने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया है।

बता दें कि, मौजूदा बाजार कीमत के मुताबिक रणनीतिक बिक्री से 60 हजार करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं। निवेशकों के लिये बीपीसीएल के बारे में पिछले साल दिसंबर में अमेरिका, लंदन और दुबई में प्रचार अभियान चलाया गया। बीपीसीएल की देश में मुंबई, कोच्चि, बीना, नुमाली गढ़ सहित चार रिफाइनरियां हैं। देशभर में उसके 15,078 पेट्रोल पंप और 6,004 एलपीजी वितरक हैं।

बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री से मिलने वाली राशि सरकार को एक अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में प्राप्त होगी। दीपम विभाग ने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश से होने वाली प्राप्ति के लिये 1.20 लाख करोड़ रुपये का बड़ा लक्ष्य रखा है। इसके अलावा अलग से 90 हजार करोड़ रुपये बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने से प्राप्त होंगे। कुल मिलाकर विनिवेश गतिविधियों से 2.10 लाख करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य नये बजट में रखा गया है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य रखा था लेकिन इसके पूरा होने की संभावना नहीं है। बजट में इस लक्ष्य को संशोधित कर 65 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसमें से अब तक सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपये जुटा लिये हैं।

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