नई दिल्ली। एलपीजी सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने की वकालत करते हुए शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में बाजार मूल्य से कम भाव पर दिए जाने वाले रसोई गैस सिलेंडर की संख्या साल में मौजूदा 12 से घटाकर 10 करने की सिफारिश की गई है। फिलहाल सभी परिवारों को सब्सिडी दर 419.26 रुपए पर 14.2 किलो का एलपीजी सिलेंडर साल में 12 मिलते हैं, जबकि सिलेंडर का बाजार मूल्य 575 रुपए है। साल में 12 से अधिक एलपीजी सिलेंडर लेने के लिए बाजार भाव का भुगतान करना पड़ता है।
संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुसार, एलपीजी सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना जरूरी है। एलपीजी सिलेंडर को प्रति परिवार 10 पर सीमित करना उपयोगी हो सकता है। समीक्षा में घरेलू एवं कॉमर्शियल एलपीजी ग्राहकों पर टैक्स एवं शुल्क समान किए जाने का भी सुझाव दिया गया है। फिलहाल 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर पर कोई एक्साइज ड्यूटी नहीं है, जबकि इसी आकार के गैर-घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 8.0 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती है। इसके अलावा सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडर पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती, जबकि कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर पर 5.0 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है।
LED बल्ब से सरकार को होगी 45,000 करोड़ रुपए की बचत
केंद्र सरकार की 77 करोड़ परंपरागत बल्बों तथा 3.5 करोड़ परंपरागत स्ट्रीट लाइटों के स्थान पर एलईडी बल्ब के इस्तेमाल से बिजली मांग में 21,500 मेगावाट की कमी लाने की योजना है। आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि परंपरागत बल्बों को एलईडी के साथ बदलने से सरकार को 45,000 करोड़ रुपए की बचत होगी। राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम से भारत को लक्षित राष्ट्रीय प्रतिबद्ध योगदान (आईएनडीसी) के तहत अपनी उत्सर्जन गहनता को 2030 तक जीडीपी पर प्रति यूनिट 33 से 35 प्रतिशत की कटौती करने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि राष्ट्रीय एलईडी कार्यक्रम से सालाना आधार पर 109 अरब यूनिट बिजली की बचत हो सकेगी और मांग में 21,500 मेगावाट की कमी आएगी। साथ ही इससे घरेलू उपभोक्ताओं और स्थानीय शहरी निकायों को 45,000 करोड़ रुपए की बचत होगी। साथ ही यह जलवायु परिवर्तन पर अंकुश में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे सालाना स्तर पर सीओ2 उत्सर्जन में 8.5 करोड़ टन की कमी होगी।
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