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Hindi News पैसा बिज़नेस अप्रैल से फरवरी के दौरान सरकार ने पकड़ी 20,000 करोड़ रुपए की GST चोरी, धोखाधड़ी रोकने के लिए उठाएगी और कदम

अप्रैल से फरवरी के दौरान सरकार ने पकड़ी 20,000 करोड़ रुपए की GST चोरी, धोखाधड़ी रोकने के लिए उठाएगी और कदम

जोसेफ ने कहा कि हमने 25 करोड़ रुपए बरामद किए हैं और शेष के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

gst evasion- India TV Paisa Image Source : GST EVASION gst evasion

नई दिल्ली। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 20,000 करोड़ रुपए मूल्य की जीएसटी चोरी का पता लगाया है। सरकार ने कहा है कि धोखाधड़ी रोकने तथा अनुपालन बढ़ाने के लिए वह और कदम उठाएगी। एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने बुधवार को यह कहा। 

अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क सदस्य (जांच) जॉन जोसेफ ने कहा कि 2018-19 में अप्रैल-फरवरी के बीच 20,000 करोड़ रुपए मूल्य की जीएसटी चोरी का पता चला, इसमें से 10,000 करोड़ रुपए बरामद कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कर अधिकारियों ने मंगलवार को 1,500 करोड़ रुपए का फर्जी इनवॉयस  का पता लगाया। इसका उपयोग अवैध तरीके से 75 करोड़ रुपए के जीएसटी क्रेडिट के लिए किया गया।

जोसेफ ने कहा कि हमने 25 करोड़ रुपए बरामद किए हैं और शेष के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।  उन्होंने कहा कि 5 से 10 प्रतिशत कंपनियां ही ऐसी हैं जो नियमों का अनुपालन नहीं कर रहीं। सरकार अनुपालन बढ़ाने के लिए कदम उठाएगी और कर चोरी करने वालों के खिलाफ इस रूप से कार्रवाई करेगी जिससे सही तरीके से काम कर रही कंपनियों को नुकसान नहीं हो। 

जोसेफ ने कहा कि विभाग रीयल एस्टेट क्षेत्र के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाएगा ताकि जीएसटी दरों में कटौती के बाद उसे अपनाने में हो रही समस्याओं को समझा जा सके। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने पिछले रविवार को निर्माणधीन मकानों तथा सस्ते आवासों के लिए कर दर में कटौती कर क्रमश: 5 प्रतिशत और एक प्रतिशत करने का निर्णय किया। परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। हालांकि, बिल्डरों को अब स्टील, सीमेंट जैसे कच्चे माल पर किए गए कर भुगतान का क्रेडिट नहीं मिलेगा। 

इससे पहले, निर्माणधीन तथा सस्ते मकानों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ जीएसटी दर क्रमश: 12 प्रतिशत और 8 प्रतिशत थी। इस मांग पर कि जिन मकानों का पूरा निर्माण नहीं हुआ पर वे बनकर तैयार हैं तथा खरीदारों को नहीं बेचे गए, उन पर आईटीसी की मांग पर जोसेफ ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र शहरी विकास मंत्रालय के समक्ष इस मुद्दे को उठाना होगा। 

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