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कोरोना संकट: सक्रिय मामले घटने से उद्योग को राहत, लिक्विड ऑक्सीजन आपूर्ति नियमों में ढील

DPIIT ने फर्नेस, रिफाइनरी, इस्पात, एल्युमीनियम, तांबा प्रसंस्करण संयंत्र के लिए आपूर्ति मांगी है। इसके अलावा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, एमएसएमई को भी ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए कहा गया है।

<p>उद्योगों को ऑक्सीजन...- India TV Paisa Image Source : PTI उद्योगों को ऑक्सीजन सप्लाई नियमों में राहत

नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में कमी के साथ सरकार ने ऑक्सीजन बनाने वाली इकाइयों को अस्थायी आधार पर एमएसएमई, खाद्य प्रसंस्करण जैसे कुछ उद्योगों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की अनुमति दी है। हालांकि, यह आपूर्ति राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मांगों के अनुसार अस्पतालों और अन्य चिकित्सा जरूरतों के लिए तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के बाद ही की जा सकेगी। इसके अलावा दवा कंपनियों, पीएसए संयंत्र, और रक्षा बलों को ऑक्सीजन आपूर्ति में तरजीह दी जाएगी। 

केंद्र सरकार ने कोविड-19 संक्रमण में तेजी से बढ़ोतरी के बीच अप्रैल में नौ उद्योगों को छोड़कर औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने छूट प्राप्त उद्योगों के अलावा अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए गृह मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजा है। विभाग ने फर्नेस, रिफाइनरी, इस्पात, एल्युमीनियम, तांबा प्रसंस्करण संयंत्र के लिए आपूर्ति मांगी है। इसके अलावा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, एमएसएमई और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए कहा गया है। गृह मंत्रालय के एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि डीपीआईआईटी इन उद्योगों और परियोजनाओं को अस्थायी आधार पर तरल ऑक्सीजन के उपयोग की अनुमति दे सकता है। 

देश में कोरोना के नये मामलों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। फिलहाल नये मामलों की संख्या डेढ़ लाख प्रतिदिन से नीचे आ गयी जो एक समय में 4 लाख से ऊपर पहुंच गयी थी। फिलहाल देश में सक्रिय मामले गिरावट के साथ 20 लाख से नीचे आ गये हैं। अप्रैल और मई के दौरान महामारी की दूसरी लहर में अचानक कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेज उछाल देखने को मिला था, जिसकी वजह से ऑक्सीजन की मांग कई गुना बढ़ गयी, जिसे देखते हुए सरकार ने उद्योग को दी जाने वाली ऑक्सीजन को भी इलाज के लिये इस्तेमाल करने का फैसला लिया था।

 

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