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Hindi News पैसा बिज़नेस भारत टैक्स मामले में दहशतगर्दी की स्थिति से निकल कर पारदर्शिता की ओर बढ़ा: मोदी

भारत टैक्स मामले में दहशतगर्दी की स्थिति से निकल कर पारदर्शिता की ओर बढ़ा: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 99.75 प्रतिशत कर रिटर्न को बिना किसी संदेह के स्वीकार किया जाना करदाताओं के बीच भरोसा बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।

<p>टैक्स पारदर्शिता की...- India TV Paisa Image Source : PTI टैक्स पारदर्शिता की ओर भारत

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के पिछले छह साल में किये गये कर सुधारों का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि भारत कर प्रशासन के मामले में दहशतगर्दी के माहौल से निकल कर अब कर पारदर्शी व्यवस्था की ओर बढ़ चुका है। ओड़िशा के कटक में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के कार्यालय-सह-रिहायशी परिसर का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कंपनी कर में कटौती, व्यक्तिगत करदाताओं के लिये दरों को लेकर सरल ढांचा, फेसलेस अपील (पहचान रहित) और तेजी से किये जा रहे रिफंड का उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछली सरकारों में कर-दहशतगर्दी की शिकायत आम बात थी। देश अब इसको पीछे छोड़ते हुए कर पारदर्शिता की ओर बढ़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश कर-दहशतगर्दी से कर पारदर्शिता की ओर बढ़ा है और यह इसीलिए संभव हुआ है क्योंकि हमने सुधार (रिफार्म), काम (परफार्म) और बदलाव (ट्रांसफार्म) की अवधारणा का अनुसरण किया।’’ मोदी ने कहा कि आजादी के बाद करदाता और कर संग्रह करने वालों के बीच शोषण और शोषण के संबंधों को बदलने के लिये बहुत कुछ नहीं किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। उन्होंने ‘फेसलेस अपील’, तेजी से जारी कर वापसी और विवाद समाधान प्रणाली का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम नियमों और प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं कर प्रशासन में व्यापक बदलाव लाया गया है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत उन गिने-चुने देशों में है जहां करदाताओं के अधिकारों और जिम्मेदारियों को संहिताबद्ध किया गया है। ‘‘यह करदाताओं और कर अधिकारियों के बीच भरोसा और पारदर्शिता बहाली के लिये महत्वपूर्ण कदम है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि संपत्ति सृजन करने वालों का सम्मान होना चाहिए, उनकी समस्याओं के समाधान से अर्थव्यवस्था की वृद्धि में मदद मिलेगी। मोदी ने कहा कि 99.75 प्रतिशत कर रिटर्न को बिना किसी संदेह के स्वीकार किया जाना करदाताओं के बीच भरोसा बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।

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