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चीन में बढ़ता कर्ज का बोझ बन सकता है नए संकट की वजह, भविष्‍य है चिंताजनक

चीन में बढ़ते कर्ज पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में बढ़ते घरेलू कर्ज, प्रॉपर्टी के बुलबुले और बढ़ते कॉरपोरेट लोन पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की गई है।

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पेइचिंग। रॉयटर्स ग्राफि‍क्‍स टीम ने चीन में बढ़ते कर्ज पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में बढ़ते घरेलू कर्ज, प्रॉपर्टी के बुलबुले और बढ़ते कॉरपोरेट लोन पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की गई है। चीन भारी कर्ज लेकर आर्थिक ग्रोथ को रफ्तार देने में जुटा है और यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रह सकती। रिपोर्ट में कहा गया है कि आम लोगों पर बढ़ते कर्ज, प्रॉपर्टी की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल और बढ़ते कॉर्पोरेट कर्ज के चलते मार्केट भविष्य में बुरी तरह लड़खड़ा सकता है।

यह कहानी 2009 में शुरू हुई थी, जब चीन ने वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान 600 अरब डॉलर यानी करीब 40,874 अरब रुपए का आर्थिक प्रोत्‍साहन कार्यक्रम लॉन्‍च किया था। चीन ने अपनी इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया था। उसके बाद सरकारी संस्थाओं से कर्ज लेने की लहर चल पड़ी और आज यह एक बोझ साबित हो रहा है।

  • इस साल चीन का कर्ज उसकी जीडीपी का 250 प्रतिशत हो चुका है। इनमें से सबसे अधिक कर्ज सरकारी कंपनियों का है, जिन्हें मांग बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए कर्ज लेने का भी काम दिया गया था।
  • चीन की इकोनॉमी इस साल 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत तक के अपने ग्रोथ लक्ष्य को हासिल करने से चूकती हुई दिखाई पड़ रही है। ऐसे में सरकार एक बार फिर से कर्ज के ही भरोसे प्रोत्‍साहन खर्च के जरिये इकोनॉमी को रफ्तार देने की तैयारी में है।
  • कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना था कि चीन की तरह जिन देशों ने तेजी से कर्ज लेकर इकोनॉमी की रफ्तार बढ़ाने की कोशिश की, वे जल्द ही वित्‍तीय संकट में घिर गए।
  • इसके अलावा बैंक फॉर सेटलमेंट्स ने भी कहा है कि आगामी तीन सालों में चीन के बैंकिंग सेक्टर को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
  • चीन में घरेलू कर्ज इस साल रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंचते हुए जीडीपी के 40 प्रतिशत के बराबर हो गया है।
  • बढ़ते घरेलू कर्ज की वजह से इस साल प्रॉपर्टी की कीमतों में भी काफी उछाल आया है, इससे उपभोक्‍ता मांग पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
  • सबसे बड़ी चिंता की बात है कॉर्पोरेट कर्ज, यह सरकारी फर्म्स से ही लिया गया है और अब इसका आंकड़ा जीडीपी के 169 प्रतिशत के करीब जा पहुंचा है।
  • चूंकि चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ धीमी है ऐसे में इन कंपनियों का मुनाफा भी कम हो रहा है, जिससे उनके पास फंड की कमी है और वे अपना कर्ज चुकाने में मुश्किलों का सामना कर रही हैं।
  • हालांकि कुछ अर्थशास्‍त्री चीन के बढ़ते कर्ज को लेकर कम चिंतित हैं। इसके पीछे वजह यह ह कि चीन के पास बहुत बड़ी मात्रा में घरेलू बचत है, जो कि जीडीपी के 50 फीसदी के बराबर है।
  • दूसरी वजह यह है कि अधिकांश कर्ज सरकारी कंपनियों और घरेलू लोगों पर ही है।

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