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Hindi News पैसा बिज़नेस बेहतर मानसून रहने पर जीडीपी ग्रोथ 8.50% तक पहुंचने की उम्मीद

बेहतर मानसून रहने पर जीडीपी ग्रोथ 8.50% तक पहुंचने की उम्मीद

सरकार और रिजर्व बैंक ने उम्मीद जताई कि यदि महंगाई नीचे आती है और मानसून अच्छा रहता है, तो ब्याज दरों में कमी आएगी। इस साल बेहतर मानसून की संभावना है।

बेहतर मानसून और महंगाई दर पर निर्भर करेगा ब्याज दरों में कटौती, जीडीपी ग्रोथ 8.50% तक पहुंचने की उम्मीद- India TV Paisa बेहतर मानसून और महंगाई दर पर निर्भर करेगा ब्याज दरों में कटौती, जीडीपी ग्रोथ 8.50% तक पहुंचने की उम्मीद

न्यूयार्क। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगर इस साल मानसून अनुमान के अनुसार अच्छा रहता है तो भारत की जीडीपी ग्रोथ 8.50 फीसदी तक पहुंच सकता है। वहीं, सरकार और रिजर्व बैंक ने उम्मीद जताई कि यदि महंगाई नीचे आती है और मानसून अच्छा रहता है, तो ब्याज दरों में कमी आएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, मुझे विश्वास है कि यदि मुद्रास्फीति का यह रूख जारी रहता है, तो हम बेहतर ब्याज दर व्यवस्था की उम्मीद कर सकते हैं। इससे भारत की उत्पादकता में सुधार होगा और गतिविधियां बढ़ेंगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने अलग से कहा कि उनकी महंगाई के आंकड़ों पर करीबी निगाह है और आगे ब्याज दरों में कटौती पर फैसला मानसून की बारिश पर निर्भर करेगा।

महंगाई और मानसून पर आरबीआई की पैनी नजर

राजन ने इसी महीने मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को चौथाई फीसद घटाकर 6.5 फीसदी किया है। हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया कि ब्याज दरों में कटौती कब और कितनी होगी। उन्होंने कोलंबिया स्कूल ऑफ लॉ में एक व्याख्यान में कहा, हम महंगाई दर के मोर्चे पर घटनाक्रम को देख रहे हैं। हमारी निगाह मानसून के संकेतों पर भी है। मार्च में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति छह माह के निचले स्तर 4.83 फीसदी पर आ गई। फरवरी में यह 5.26 फीसदी पर थी।

राजन के बयान पर बोले जेटली, सबसे तेज ग्रोथ कर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था

अरुण जेटली ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अंधों में काना राजा बताने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के बयान को एक प्रकार से खारिज करते हुए कहा कि शेष दुनिया की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ कहीं बहुत तेज है, वास्तव में, सबसे तेज है। जेटली ने कहा कि 7.5 फीसदी की ग्रोथ दर पर कोई और देश जश्न मना रहा होता, लेकिन यह भारत की वृद्धि की कहानी का सम्मान ही है कि हम इस पर भी बेचैन हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी क्षमता इससे कहीं अधिक की है।

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