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Hindi News पैसा बिज़नेस प्रधानमंत्री जनधन योजना में लोगों ने जमा कराया 42,000 करोड़ रुपए

प्रधानमंत्री जनधन योजना में लोगों ने जमा कराया 42,000 करोड़ रुपए

जनधन में गड़बड़ी के विपक्षी दल की आलोचना के बीच सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जनधन के तहत जमा राशि 42,000 करोड़ रुपए को पार कर गई है।

जनधन योजना में लोगों ने जमा कराए 42,000 करोड़ रुपए, बिना पैसे वाले खातों की संख्या 25 फीसदी से भी कम- India TV Paisa जनधन योजना में लोगों ने जमा कराए 42,000 करोड़ रुपए, बिना पैसे वाले खातों की संख्या 25 फीसदी से भी कम

नई दिल्ली। जनधन में गड़बड़ी के विपक्षी दल की आलोचना के बीच सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जनधन के तहत जमा राशि 42,000 करोड़ रुपए को पार कर गई है। वहीं बिना कोई राशि वाले खातों की संख्या 25 प्रतिशत से नीचे आई है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत अप्रैल से करीब 6,000 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष की शुरूआत में जनधन खातों में जमा राशि 36,000 करोड़ रुपए थी और सात सितंबर तक यह 42,504 करोड़ रुपए हो गई।

अधिकारियों के अनुसार जनधन खातों में राशि लगातार बढ़ रही है और सरकार गड़बडि़यों को रोकने के लिए इस प्रकार के खातों का उपयोग प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के लिए करेगी। उसने यह भी कहा कि ये राशि बैंकों के पास लंबे समय से है। ऐसी रिपोर्ट है कि कुछ बैंक अधिकारी जानबूझकर पीएमजेडीवाई खातों में छोटी राशि जमा कर रहे हैं ताकि वे शून्य राशि वाले खातों की श्रेणी में नहीं आएं। कांग्रेस ने जीरो बैलेंस वाले जन धन खातों की संख्या में कमी लाने के लिए एक रूपया जमा किए जाने के कपटपूर्ण खेल की रिपोर्टों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और झूठ एवं चालबाजी के जरिए राष्ट्र को मूर्ख बनाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आंकड़ों में फर्जीवाड़ा तथा हेरफेर और तथाकथित उपलब्धियों को बढ़ा चढाकर पेश करना मोदी सरकार की कार्यशैली बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि झूठ और चालबाजी विशिष्ट विशेषताएं हैं जिनके जरिए मोदी सरकार काम करती है। जनधन योजना के तहत 24.27 करोड़ खाते खोले गए और शून्य राशि वाला खाता घटकर 24.43 फीसदी पर आ गया है। अधिकारियों ने कहा कि शून्य राशि वाले खातों में कमी लाने का कोई लक्ष्य नहीं है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न लेन-देन बैंकों के जरिये हो। इसके अलावा इसका मकसद उन लोगों के बीच बैंकों के जरिये लेन-देन की आदत डालना है जो बैंकिंग सेवा से अबतक वंचित थे।

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