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Hindi News पैसा बिज़नेस विजय माल्या की बर्बादी की ये है पूरी कहानी, इस गलती ने खत्म कर दिया था पूरा बिजनेस एंपायर

विजय माल्या की बर्बादी की ये है पूरी कहानी, इस गलती ने खत्म कर दिया था पूरा बिजनेस एंपायर

किंग ऑफ गुड टाइम्स के नाम से मशहूर विजय माल्या की बर्बादी की कहानी पूरी फिल्मी है। कहा जाता है कि 2007 में किया गया एक सौदा माल्या के लिए बड़ी गलती थी।

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नई दिल्‍ली। बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपए लेकर भागने वाले मशहूर शराब कारोबारी  विजय माल्‍या  को करीब 13 महीने के बाद लंदन में प्रत्‍यर्पण मामले में गिरफ्तार कर वेस्‍टमिंस्‍टर कोर्ट में पेश किया गया, जहां प्रारंभिक सुनवाई के बाद उन्‍हें जमानत दे दी गई। पर क्या आप जानते है कि किंग ऑफ गुड टाइम्स के नाम से मशहूर इस कारोबारी के बर्बाद होने की पूरी कहानी फिल्मी है। कहा जाता है कि  सन 2007 में किया गया एक सौदा माल्या के लिए सबसे बड़ी गलती साबित हुआ। इस सौदे के पांच साल के भीतर माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई और उनका पूरा कारोबारी साम्राज्य लगभग खत्म हो गया। यह भी पढ़े: विजय माल्‍या को भारत लाने का रास्‍ता नहीं है आसान, सुप्रीम कोर्ट तक जाने का है अधिकार

इस गलती ने डूबो दिया करोड़ों का बिजनेस एंपायर

सन 2007 में  माल्या ने खरीदी थी एयर डेक्कन

सन 2005 में विजय माल्या ने किंगफिश एयरलाइंस की शुरुआत की थी। उनका किंगफिशर एयरलाइंस को एक बड़ा ब्रैंड बनाने का सपना था। इसीलिए माल्या ने सन 2007 में देश की पहली लो कॉस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन का टेकओवर किया था। इसके लिए उन्होंने 30 करोड़ डॉलर यानी 1,200 करोड़ रुपए (2007 में 1 डॉलर लगभग 40 रुपए के बराबर था) की भारी रकम खर्च की थी। इस सौदे से माल्या को तत्‍काल फायदा तो हुआ और 2011 में किंगफिशर देश की दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी भी बन गई। लेकिन कंपनी एयर डेक्कन को खरीदने के पीछे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई और बढ़ती फ्यूल कॉस्ट ने ऑपरेशन लागत बढ़ा दी। इससे कंपनी को बड़ा घाटा उठाना पड़ा। वीडियो में देखें माल्‍या के बचपन से अ‍ब तक की कहानी

फेल होती चली गई माल्या की स्ट्रैट्जी

 कुछ ऐसे खत्म हुआ बिजनेेेस  एंपायर

सन 2012: किंगफिशर एयरलाइंस का स्टाफ सैलरी नहीं मिलने के विरोध में हड़ताल पर चले गए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किंगफि‍‍िशर एयरलाइंस (केएफए) के अकाउंट्स सीज कर लिए और केएफए का परिचालन बंद हो गया। अक्टूबर में सरकार ने केएफए का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया। वहीं माल्‍या ने कर्ज का बोझ कम करने के लिए अपनी शराब कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स में हिस्‍सेदारी बेचने की पेशकश की। ब्रिटिश कंपनी डायाजियो हिस्‍सा खरीदने के लिए राजी हो गई।

सन 2013: डायाजियो ने 6,500 करोड़ रुपए में यूएसएल की 27 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। लेकिन, केएफए को कर्ज देने वालों को पैसे वापस नहीं दिए गए।

सन 2014: यूनाइटेड बैंक ने यूनाइटेड ब्रूअरीज होल्डिंग्स को जानबूझकर कर्जा नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया।

सन 2015: डायाजियो ने माल्या को कहा कि वह यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन का पद छोड़ दें, लेकिन माल्या ने इनकार कर दिया।

सन 2016: डायाजियो के साथ समझौते के तहत चेयरमैन का पद छोड़ा और बदले में उन्हें 515 करोड़ रुपए मिले। लेकिन, बैंकों के आग्रह पर डेट रिकवरी ट्रिब्‍यूनल ने पैसे निकालने पर रोक लगा दी।

आखिरकार बंद हो गई किंगफिशर

गोपीनाथ के मुताबिक, माल्या ने एक और गलत फैसला लिया। उन्होंने कहा कि माल्या ने एयर डेक्कन के साथ गोद लिए हुए बेटे की तरह व्यवहार किया। विलय के बाद माल्या को उम्मीद थी कि एयर डेक्कन के कस्टमर किंगफिशर की ओर रुख करेंगे, लेकिन इसका उल्‍टा होने लगा। आखिर में एयर डेक्कन (किंगफिशर रेड) के कस्टमर दूसरी लो कॉस्ट एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे। इस प्रकार अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई। इसका असर माल्या के कारोबारी साम्राज्य पर भी पड़ा, जो अब लगभग खत्म होने के कगार पर है।

 माल्या के बेतुके बोल

सिर्फ एक दुख है कि जब तेल के दाम बहुत नीचे पहुंच चुके हैं, किंगफिशर एयरलाइंस उड़ान नहीं भर रही है। पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं कि मीडिया मुझे निशाना बनाकर करीब-करीब उन्मादी अभियान चला रही है। मैं तो बस यही कह सकता हूं कि कुछ संयम और संवेदना बरती जानी चाहिए और टीआरपी के लिए सच्चाई को छिपाया नहीं जाना चाहिए।

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