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रफ्तार नहीं पकड़ पाई व्यापारियों और स्वरोजगार करने वाले लोगों के लिए लाई गई राष्ट्रीय पेंशन योजना

व्यापारियों और स्वरोजगार करने वाले लोगों के लिए पेश की गई राष्ट्रीय पेंशन योजना रफ्तार पकड़ने में विफल रही है।

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नयी दिल्ली। व्यापारियों और स्वरोजगार करने वाले लोगों के लिए पेश की गई राष्ट्रीय पेंशन योजना रफ्तार पकड़ने में विफल रही है। सरकार ने मार्च अंत तक इस योजना के तहत 50 लाख नामांकन का लक्ष्य रखा है, लेकिन अब तक सिर्फ 25,000 लोगों ने ही योजना के लिए पंजीकरण कराया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिल्ली से सिर्फ 84 व्यापारियों और स्वरोजगार वाले लोगों ने इस योजना के तहत पंजीकरण कराया है। वहीं केरल से 59, हिमाचल प्रदेश से 54, जम्मू-कश्मीर से 29 और गोवा से दो लोगों ने योजना के तहत पंजीकरण कराया है। अब तक योजना के तहत सबसे अधिक 6,765 पंजीकरण उत्तर प्रदेश से हुए हैं। आंध्र प्रदेश से 4,781, गुजरात से 2,915, महाराष्ट्र से 632, बिहार से 583, राजस्थान से 549, तमिलनाडु से 309, मध्य प्रदेश से 305 और पश्चिम बंगाल से 234 पंजीकरण हुए हैं। 

व्यापारियों और स्वरोजगार करने वाले लोगों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना (प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मान-धन योजना) एक स्वैच्छिक और अंशदान आधारित केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। सरकार ने यह योजना 22 जुलाई, 2019 को शुरू की थी। इसके तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के लोगों को 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद मासिक 3,000 रुपए की पेंशन मिलेगी। योजना के तहत सरकार अंशधारकों के खातों में उनके द्वारा जमा कराई गई राशि के बराबर योगदान देगी। 

योजना को मिली ठंडी प्रतिक्रिया पर कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि योजना के तहत प्रवेश की आयु और प्रीमियम बढ़ाया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक व्यापारी योजना में शामिल होने को प्रोत्साहित हों। खंडेलवाल ने कहा कि तीस साल तक प्रीमियम देने के बाद मासिक 3,000 रुपये मिलेंगे, जिसकी शायद उस समय कोई कीमत नहीं होगी। 40 से 55 साल के व्यापारियों को योजना से बाहर क्यों रखा गया है? सरकार इस आयु वर्ग के लोगों के लिए प्रीमियम बढ़ा सकती है। उन्हें योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। 

कैट महासचिव ने सरकार को व्यापारियों के लिये एक अलग कोष बनाने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि कोई भी व्यापारी जीवन भर जितना कर सरकार को देता है उसमें से कुछ राशि से एक भविष्य निधि की तरह का कोष बनाया जाना चाहिये। इस कोष में से व्यापारी को 60 साल की आयु के बाद पेंशन देने की व्यवस्था हो सकती है।

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