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भारत में बढ़ते जल संकट के साथ बढ़ता बोतल बंद पानी का कारोबार

यह जल संकट हमारे लिए खतरे की घंटी हो सकती है लेकिन पानी का कारोबार करने वाली कंपनियों ने लिए निश्चित तौर पर यह नए अवसर की तरह है।

बूंद बूंद में PAISA: भारत में बढ़ते जल संकट के साथ बढ़ता बोतल बंद पानी का कारोबार- India TV Paisa बूंद बूंद में PAISA: भारत में बढ़ते जल संकट के साथ बढ़ता बोतल बंद पानी का कारोबार

नई दिल्‍ली। मंगलवार को 5 लाख लीटर पानी लेकर वाटर ट्रेन महाराष्‍ट्र के लातूर पहुंची, जहां करीब 24.5 लाख लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। सूखे की चपेट में आए मराठवाड़ा में अब तक 89 किसान आत्‍महत्‍या कर चुके हैं। पानी का यह संकट हमारे लिए खतरे की घंटी हो सकती है लेकिन पानी का कारोबार करने वाली कंपनियों ने लिए निश्चित तौर पर यह नए अवसर की तरह है। भारत जैसे देश में जहां करीब साढ़े सात करोड़ से ज्‍यादा लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्‍ध नहीं है, वहां बोतल बंद पानी का कारोबार सालाना 20 फीसदी से भी ज्‍यादा रफ्तार से बढ़ रहा है और 2018 तक इसके 16,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। वर्ल्ड वॉटर डे पर जारी रिपोर्ट Water: At what cost?” के मुताबिक भारत की करीब 5 फीसदी जनसंख्या (7.6 करोड़ लोग) के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है और करीब 1.4 लाख बच्चे हर साल गंदे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। वहीं दूसरी ओर सरकारों की अनदेखी और वाटर मैनेजमेंट न होने की वजह से पानी का यह कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। IndiaTV Paisa अपनी इस रिपोर्ट में आपको पानी के इस पूरे अर्थशास्त्र से रू-ब-रू कराएगी।

तेजी से घट रही है पानी उपलब्‍धता 

भारत में 1947 के दौरान प्रति व्‍यक्ति 6042 क्‍यूबिक मीटर पानी उपलब्‍ध था, जो कम होते-होते 2001 में 1816 क्‍यूबिक मीटर हो गया। 2011 में यह और घटकर 1545 क्‍यूबिक मीटर और 2016 में 1495 क्‍यूबिक मीटर रह गया। इसकी प्रमुख वजह तेजी से बढ़ती आबादी और बरसात के पानी का बेहतर प्रबंधन न होना है। 65 फीसदी बरसाती पानी समुद्र में बेकार चला जाता है। शहरीकरण की वजह से बढ़ता क्रांकीट का जाल और सिंचाईं के लिए ट्यूबवेल पर बढ़ती निर्भरता से भी जमीन के नीचे पानी सूख रहा है। रिसर्च पेपर Water for India in 2050: first-order assessment of available options के मुताबिक 2050 तक प्रति व्‍यक्ति पानी उपलब्‍धता 1150 क्‍यूबिक मीटर से कम रह जाएगी।

तस्वीरों में देखिए महाराष्ट्र के सूखे का हाल

Drought in maharashtra

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2018 में 16,000 करोड़ रुपए का होगा बोतल बंद पानी का बाजार

रिसर्च फर्म वेल्‍यूनोट्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बोतल बंद पानी का कारोबार 2018 तक 16,000 करोड़ रुपए का हो जाएगा, जो 2013 में 6,000 करोड़ रुपए का था। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बोतल बंद पानी का यह बाजार सालाना 22 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत में बोतल बंद पानी की शुरुआत 1990 में बिसलरी द्वारा की गई। पेप्‍सी और कोका कोला जैसी अंतरराष्‍ट्रीय कंपनियों ने बोतल बंद पानी को शुद्ध और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक बताने वाले प्रचार के जरिये बड़ा बाजार बना दिया।

पांच कंपनियों का है कब्‍जा

भारत में बोतल बंद पानी के मार्केट में 67 फीसदी हिस्‍सेदारी केवल टॉप 5 कं‍पनियों के पास है। भारत के बोतल बंद पानी कारोबार पर वर्तमान में बिसलेरी,पेप्‍सीको, कोका कोला, धारीवाल और पारले का कब्‍जा है। 36 फीसदी के साथ बिसलेरी मार्केट लीडर है। 25 फीसदी हिस्‍सेदारी के साथ कोका कोला का किनले दूसरे और 15 फीसदी हिस्‍सेदारी के साथ पेप्‍सीको का एक्‍वाफि‍ना तीसरे स्‍थान पर है। इसके बाद पारले का बैली, किंगफि‍शर और मैकडोवेल्‍स नंबर वन जैसे ब्रांड आते हैं।

कारोबार बढ़ने की वजह

पेय जल की कमी और जल निकायों के प्रदूषित होने से भारत में बोतल बंद पानी के कारोबार को बढ़ने का मौका मिला है। अधिकांश घरों में या तो पानी उबालकर उपयो‍ग किया जाता है या वाटर प्‍यूरीफायर का उपयोग किया जाता है। लेकिन यात्रा या बाहर भोजन करते वक्‍त बोतल बंद पानी एक आवश्‍यकता बन जाती है। इसके अलावा खर्च योग्‍य आय में बढ़ोतरी, पर्यटकों की बढ़ती संख्‍या,स्‍वच्‍छ पेयजल की कमी, लाइफस्‍टाइल में बदलाव,स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति बढ़ती जागरूकता आदि भी इस बाजार को बढ़ाने में सहायक की भुमिका निभा रहे हैं।

दो कैटेगरी में बंटी है यह इंडस्‍ट्री

बोटल वाटर इंडस्‍ट्री दो कैटेगरी नेचूरल मिनरल वाटर और पैकेज्‍ड ड्रिकिंग वाटर में बंटी हुई है। कुल मार्केट में पैकेज्‍ड ड्रिकिंग वाटर की हिस्‍सेदारी 85 फीसदी है, जबकि शेष 15 फीसदी हिस्‍सेदारी नेचूरल मिनरल वाटर की है। नेचूरल मिनरल वाटर प्रीमियम सेगमेंट में आता है और इसकी कीमत बहुत ज्‍यादा होती है।

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