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Hindi News पैसा बिज़नेस मनमोहन के 5 साल पर मोदी के 3 साल भारी, हर नागरिक के हिस्से में औसतन 18% ज्यादा बिजली

मनमोहन के 5 साल पर मोदी के 3 साल भारी, हर नागरिक के हिस्से में औसतन 18% ज्यादा बिजली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियों में बिजली क्षेत्र में हुए काम को भी गिनाते हैं, और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से बिजली को लेकर जारी हुए आंकड़ों में प्रधानमंत्री मोदी का दावा सही नजर आ रहा है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं के दूसरे कार्यकाल यानि 2009 से 2014 के दौरान देश में प्रति व्यक्ति उपलब्ध ऊर्जा में जितनी ग्रोथ हुई थी उससे ज्यादा ग्रोथ मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3 साल के कार्यकाल में हो गई है

PM Modi's 3 years regime is better over 5 years of Manmohan Singh in per capita power availability- India TV Paisa PM Modi's 3 years regime is better over 5 years of Manmohan Singh in per capita availability of Power

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियों में बिजली क्षेत्र में हुए काम को भी गिनाते हैं, और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से बिजली को लेकर जारी हुए आंकड़ों में प्रधानमंत्री मोदी का दावा सही नजर आ रहा है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं के दूसरे कार्यकाल यानि 2009 से 2014 के दौरान देश में प्रति व्यक्ति उपलब्ध ऊर्जा में जितनी ग्रोथ हुई थी उससे ज्यादा ग्रोथ मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3 साल के कार्यकाल में हो गई है।

RBI के आंकड़ों के मुताबिक 2008-09 के दौरान देश में प्रति व्यक्ति औसतन 671.8 किलोवाट प्रति घंटा ऊर्जा उपलब्ध थी जो 2013-14 में बढ़कर औसतन 793.1 किलोवाट प्रति घंटा तक पहुंची, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल मई 2009 से मई 2014 के दौरान रहा था। यानि उनके कार्यकाल के दौरान प्रति व्यक्ति उपलब्ध ऊर्जा में लगभग 18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के पहले 3 साल यानि मई 2014 से मई 2017 के दौरान प्रति व्यक्ति उपलब्ध ऊर्जा में 18 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है। यानि जितनी ग्रोथ मनमोहन सिंह के 5 साल के कार्यकाल में हुई है उससे थोड़ी ज्यादा ग्रोथ मोदी के 3 साल के कार्यकाल में हो गई है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में देश में प्रति व्यक्ति उपलब्ध उर्जा औसतन 793.1 किलोवाट प्रति घंटा थी जो 2016-17 में  बढ़कर औसतन 938.1 किलोवाट प्रति घंटा हो गई है।

हालांकि ऊर्जा के मामले में जो राज्य पिछड़े हुए थे वह हालांकि वह प्रति व्यक्ति उपलब्ध ऊर्जा के मामले में राष्ट्रीय औसत से अब भी पीछे हैं लेकिन मनमोहन सिंह के कार्यकाल के मुकाबले मोदी के कार्यकाल में उनमें ज्यादा ग्रोथ हुई है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक 2008-09 में बिहार में प्रति व्यक्ति उपलब्ध ऊर्जा औसतन 106 किलोवाट प्रति घंटा थी जो 2013-14 में बढ़कर 142.2 किलोवाट प्रति घंटा तक पहुंची, यानि 5 साल में करीब 34 प्रतिशत की ग्रोथ, लेकिन 2016-17 में यह 242.1 किलोवाट प्रति घंटा तक पहुंच गई जिसका मतलब है कि 3 साल में 70 प्रतिशत से ज्यादा ग्रोथ। उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2008-09 में यह 326.8 किलोवाट प्रति घंटा थी जो 2013-14 में बढ़कर 408.9 किलोवाट तक पहुंची और 2016-17 में 529.6 किलोवाट हो गई। यानि उत्तर प्रदेश में 5 साल में 25.12 प्रतिशत ग्रोथ के मुकाबले 3 साल में 29.51 प्रतिशत ग्रोथ।

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