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सील बंद पानी में पोटेशियम ब्रोमेट मिलाने की अनुमति नहीं, FSSAI ने सेहत के लिए बताया हानिकारक

एफएसएसएआई ने कहा है कि सील बंद पानी में मिलाने वाले अवयव के रूप में पोटेशियम ब्रोमेट के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। सेहत के लिए नुकसान दायक है।

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नई दिल्ली। एफएसएसएआई ने कहा है कि सील बंद पानी में मिलाने वाले अवयव के रूप में पोटेशियम ब्रोमेट के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। हालांकि एफएसएसएआई ने कहा है कि दूषणकारी तत्व (कन्टेमिनेन्ट) के रूप में इसके होने की सीमा तय की गई है क्योंकि यह भूजल में पाया गया है अथवा जब पानी का उपचार अथवा शोधन किया जाता है।

पोटेशियम ब्रोमेट एक कैंसरकारी तत्व है जिसकी डबलरोटी में कथित उपस्थिति को लेकर समाचार प्रकाशित हुए हैं। उसके बाद एफएसएसएआई ने कहा कि उसने एडिटिव्स की सूची से ब्रोमेट को हटाने का फैसला किया है। ब्रोमेट पानी का अभिन्न हिस्सा नहीं है लेकिन जब पानी का शोधन किया जाता है तो पेय जल में ब्रोमेट के अवयव पाए जाते हैं। भूजल में इसको पाया जाता है जिसका कारण खारा पानी का भूजल में प्रवेश करना है ऐसा तब होता है जब जल का स्रोत समुद्र अथवा औद्योगिक अपशिष्ट सुविधाओं के करीब हों।

सेंटर फॉर साइंस एंड  एनवायर्नमेंट (CSI) की रिपोर्ट के बाद जनता के बीच ब्रेड और बन आदि को लेकर आशंका पैदा हुई है। सीएसई ने इन अवयवों के इस्तेमाल को हानिकारक बताया है। उसका कहना है कि इससे कैंसर हो सकता है। सीएसई ने दिल्ली में बिकने वाली विभिन्न ब्रांडों की 38 ब्रेड का नमूना लिया और जांच की। सीएसई का दावा है कि 84 फीसदी नमूनों में पोटेशियम ब्रोमाइट या पोटेशियम आयोडेट के तत्व पाए गए। देश में ब्रेड, बन आदि का करीब 5,000 करोड़ रुपए का बाजार है, जिसमें से ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में है। संगठित क्षेत्र का हिस्सा इसमें 40 फीसदी तक ही है। इनका बाजार हर साल 10 से 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

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