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राजन ने रिजर्व बैंक की आजादी, गवर्नर का ओहदा बढ़ाने की वकालत की

रिजर्व बैंक गवर्नर का पद छोड़ने से पहले सार्वजनिक तौर पर शनिवार को रघुराम राजन ने अपना आखिरी संबोधन दिया और गवर्नर का ओहदा बढ़ाने की वकालत की ।

Last Speech: रिजर्व बैंक की आजादी और गवर्नर का ओहदा बढ़ाने के पक्ष में राजन, आज खत्म हो रहा है कार्यकाल- India TV Paisa Last Speech: रिजर्व बैंक की आजादी और गवर्नर का ओहदा बढ़ाने के पक्ष में राजन, आज खत्म हो रहा है कार्यकाल

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक गवर्नर का पद छोड़ने से पहले सार्वजनिक तौर पर शनिवार को रघुराम राजन ने अपना आखिरी संबोधन दिया। राजन ने एक ऐसे मजबूत और स्वतंत्र रिजर्व बैंक की वकालत की है जो कि वृहद आर्थिक स्थिरता की खातिर सरकार के शीर्ष स्तर पर बैठे लोगों को ना कह सके। खुलकर अपनी बात रखने वाले रिजर्व बैंक के निवर्तमान गवर्नर रघुराम राजन अपने तीन साल का कार्यकाल आज पूरा करने जा रहे हैं। उसके बाद वह पठन पाठन के क्षेत्र में लौट जाएंगे। उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर का ओहदा बढ़ाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि कानूनी तौर पर निम्न दर्जे के साथ वास्तव में शक्तिशाली पद को रखना खतरनाक हो सकता है।

राजन केन्द्रीय बैंक की स्वतंत्रता विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, केन्द्रीय बैंक को स्वतंत्र होना चाहिए और उसे आकर्षक दिखने वाले प्रस्तावों को ना कहने में सक्षम होना चाहिए। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय बैंक विभिन्न प्रकार की बाध्यताओं से मुक्त नहीं रह सकता उसे सरकार द्वारा तय ढांचे के दायरे में काम करना होता है। राजन ने सरकार के साथ नीतिगत मुद्दों पर भेदभाव के मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव की टिप्पणी को याद करते हुए कहा कि इस मामले में वह कुछ और आगे जाएंगे। उनका मानना है कि रिजर्व बैंक को केवल अपनी ना कहने की क्षमता के लिए ही अस्तित्व में नहीं बने रहना चाहिये बल्कि उसकी रक्षा भी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर का रैंक वर्तमान में कैबिनेट सचिव के बराबर है। इसे उसकी भूमिका के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, इसकी एक वजह है कि केन्द्रीय बैंक के गवर्नर जी-20 की बैठकों में वित्त मंत्रियों के साथ क्यों बैठते हैं। राजन ने कहा कि कामकाजी फैसले लेने की आजादी केन्द्रीय बैंक के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, राजन ने ही रिजर्व बैंक के कामकाज में कई बदलावों की शुरआत की है। इनमें मौद्रिक नीति समिति के तहत मुद्रास्फीति का लक्ष्य तय किए जाने जैसे कई अहम बदलाव शामिल हैं। रिजर्व बैंक के निवर्तमान गवर्नर ने पिछले दिनों धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर भी खुलकर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बैंक के गवर्नर को वृहद आर्थिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अर्थव्यवस्था में होने वाली विभिन्न गतिविधियों और प्रवृत्तियों के खतरे के बारे में आगाह करना चाहिए।

रिजर्व बैंक गर्वनर के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि उनके रहते भुगतान और बैंकिंग प्रणाली के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किये गये। मौद्रिक नीति संचालन, नकदी प्रबंधन, वित्तीय बाजारों, परेशानियों के निदान और खुद रिजर्व बैंक में बदलाव लाने के क्षेत्र में कई काम किए गए। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर यह उनका अंतिम सार्वजनिक भाषण है। उन्होंने कहा, केवल समय ही बताएगा कि ये सुधार कितने सफल रहे लेकिन मैंने बिना किसी डर और पक्षपात के अपनी तरफ से हर संभव बेहतर काम करने की कोशिश की है। राजन ने कहा, भारत जैसे गरीब देश में जहां काफी लोग बहुत कम पर गुजर बसर करते हैं, केन्द्रीय बैंक की भूमिका देश की क्षमताओं का ध्यान रखने, सूझबूझ वाली नीतियों को अपनाते हुए जोखिम कम करने और वैश्विक झटकों से देश को बचाने के लिए पर्याप्त बफर बनाने की होनी चाहिए।

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