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Hindi News पैसा बिज़नेस 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य पटरी पर: मुख्य आर्थिक सलाहकार

1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य पटरी पर: मुख्य आर्थिक सलाहकार

केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओर वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इनमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सहित एक बीमा कंपनी का विनिवेश शामिल है।

<p>विनिवेश लक्ष्य पूरा...- India TV Paisa Image Source : PTI विनिवेश लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद 

नई दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा है कि एलआईसी और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) सहित सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों के विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य पटरी पर है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए जमीनी कार्य किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि दूसरी लहर का असर पहली से कम है। फेडरेशन ऑफ तेलंगाना चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि पिछले लगातार आठ माह से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है, जिससे पता चलता है कि उपभोग बढ़ रहा है। यह वृद्धि की दृष्टि से सकारात्मक संकेत है। सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘इस साल काफी चीजों पर काम चल रहा है। इन लक्ष्यों को हासिल करने पर काफी जोर दिया जा रहा है। यह याद रखें कि 1.75 लाख करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से आएगा। दूसरा बीपीसीएल का निजीकरण है। इन दोनों से ही विनिवेश लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा हासिल हो जाएगा। 

केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओर वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इनमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सहित एक बीमा कंपनी का विनिवेश शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल को निजीकरण के लिए याद रखा जाएगा। अभी हमारे पास नौ माह बचे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि हम 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।’’ इससे पहले अपने संबोधन में सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा ‘मुफ्त’ लाभ पर खर्च किए जाने वाले प्रत्येक एक रुपये से अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 98 पैसे का रहता है। वहीं पूंजीगत खर्च पर प्रत्येक एक रुपया व्यय करने पर देश की अर्थव्यवस्था को 4.50 रुपये का योगदान मिलता है।’’ 

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