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ICICI बैंक मामले पर पहली बार बोले वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत, कहा व्यक्तिगत संबंधों का नतीजा हमेशा आपराधिक नहीं

वेणुगोपाल धूत ने कहा कि वह ऋण मंजूर करने वाली समिति के सभी 12 सदस्यों को जानते हैं और कहा दो लोगों के बीच व्यक्तिगतसंबंध होने का परिणाम हमेशा आपराधिक कृत्य नहीं होता है

Venugopal Dhoot- India TV Paisa Venugopal Dhoot on ICICI bank and Chanda Kochhar

नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) से कर्ज प्राप्त करनेके बदले में कथित तौर पर मदद पहुंचाने के मामले में CBI जांच के घेरे में आये वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कहा कि वह ऋण मंजूर करने वाली समिति के सभी 12 सदस्यों को जानते हैं और कहा दो लोगों के बीच व्यक्तिगतसंबंध होने का परिणाम हमेशा आपराधिक कृत्य नहीं होता है।

रिपोर्टों में वीडियोकॉन समूह को कर्ज मुहैया कराने के बदले ICICI बैंक की प्रमुख चंदा कोचर और उनके परिवार के सदस्यों को कथित तौर पर मदद पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण दिया था जो कि बाद में गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) में तब्दील हो गया। मामले में विवाद खड़ा होने पर बैंक खुद कोचर के बचाव में आ गया।

वीडियोकॉन समूह पर चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स में निवेश का आरोप लगा है। ICICI बैंक से कर्ज मामले में चंदा कोचर से जुड़े सवाल पर धूत ने कहा कि इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं था। वह कर्ज मंजूर करने वाली 12 सदस्यीय समिति की एक सदस्य मात्र थी, जिस समिति ने वीडियोकॉन समूह का 3,250 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया था।

धूत ने दावा किया कि वह सभी 12 सदस्यों को जानते हैं और बैंक के पूर्व चेयरमैन के वी कामत ( समिति के प्रमुख) के साथ तो वह अक्सर दोपहर में भोजन करते रहे हैं। मराठी टीवी चैनल एबीपी मांझा को दिए साक्षात्कार में धूत ने कहा कि दोनों लोगों के बीच व्यक्तिगत संबंधों का नतीजा हमेशा आपराधिक कृत्य नहीं होता है। इस मामले में CBI की प्रारंभिक जांच पर धूत ने कहा कि एजेंसी" फर्जी शिकायतों" सहित सभी आरोपों की जांच कर रही है। CBI ने 2012 में विडियोकॉन समूह को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के ऋण में हुई अनियमितता का पता लगाने के लिए बैंक के कुछ अधिकारियों से भी पूछताछ की।

CBI यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस मामले में बैंक ऋण मुहैया कराने के बदले में क्या कोई मदद की गई। प्रारंभिक जांच में विडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत, दीपक कोचर एवं अन्य को नामजद किया गया है। धूत ने कहा कि ICICI बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण तेल एवं गैस क्षेत्र में परियोजनाओं की योग्यता पर आधारित था। उन्होंने कहा, " ICICI बैंक की ओर से वीडियोकॉन को कोई मदद नहीं की गई है क्योंकि ICICI बैंक इस पूरे मामले में कंसोर्टियम व्यवस्था( जिसमें उसके अलावा अन्य ऋणदाता भी थे और एसबीआई इसका नेतृत्व कर रहा था) के साथ जुड़ा था और कुल मिले कर्ज में उसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से भी कम थी। ICICI बैंक से मिली स्वीकृति परियोजनाओं की पात्रता के आधार पर थी और इसलिए यहां ऋणके बदले मदद का कोई सवाल नहीं है।

धूत ने कहा कि जब न्यूपावर रिन्यूएबल्स शुरू हुई थी तो उन्होंने कंपनी में करीब 2.5 लाख रुपये निवेश किए थे लेकिन तुरंत ही पूरे निवेश को बेच दिया था। उस समय ICICI बैंक का नेतृत्व के वी कामत कर रहे थे। धूत का दावा है कि उन्हें नहीं मालूम की उस समय चंदा कोचर बैंक से जुड़ी थी अथवा नहीं। उन्होंने उनके समूह द्वारा न्यूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये के निवेश की बात को खारिज कर दिया। धूत ने कहा कि दीपक कोचर के साथ उनकी अपने दोस्त और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शरद उपासनी के जरिए जान- पहचान हुई थी।

धूत ने कहा, " यह सब समय का चक्र है, जहां लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह अग्नि- परीक्षा( लिटमस परीक्षण) की तरह है, जिससे सीता को गुजरना पड़ा था और मुझे भरोसा है कि इस परीक्षा में सफल हो जाऊंगा।"

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