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Hindi News पैसा बिज़नेस घर पर सोलर एनर्जी प्लांट लगाकर कर सकते हैं कमाई, बिजली बिल की टेंशन होगी खत्म

घर पर सोलर एनर्जी प्लांट लगाकर कर सकते हैं कमाई, बिजली बिल की टेंशन होगी खत्म

क्या आप भी अपने बिजली के बिल से निजात पाना चाहते हैं और साथ ही अगर आपकी बिजली से कमाई होने लगे तो सोचिए कैसा होगा। जी हां ये कोई सपना नहीं बल्कि हकीकत है। ये सब मुमकिन है सोलर एनर्जी प्लांट के जरिए।

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नई दिल्ली। क्या आप भी अपने बिजली के बिल से निजात पाना चाहते हैं और साथ ही अगर आपकी बिजली से कमाई होने लगे तो सोचिए कैसा होगा। जी हां ये कोई सपना नहीं बल्कि हकीकत है। ये सब मुमकिन है सोलर एनर्जी प्लांट के जरिए। दरअसल, आप भी अपने घर की छत पर सोलर एनर्जी प्लांट के उपकरणों को लगाकर अपने ही घर पर बिजली पैदा कर कमाई कर सकते हैं। 

बता दें कि उज्जल विकास सोलर इंडिया के तहत आप ना केवल आपकी बिजली की जरूरतें पूरी हो सकती हैं बल्कि हर महीने आने वाले भारी भरकम बिजली के बिल की टेंशन भी खत्म हो जाएगी। गौरतलब है कि उज्जल विकास का ये प्लांट 25 सालों तक काम करता है, जिससे पूरे समय आपकी बिजली और पैसों की बचत होती रहेगी। इतना ही नहीं, अब केंद्र और राज्य सरकारें भी सोलर प्लांट्स को लगाने के लिए आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे रही हैं जिससे अब इसे लगवाना बेहद आसान हो गया है।

जानिए क्या है उज्जल विकास सोलर सिस्टम

ऑन ग्रिड सिस्टम- इसमें बैटरी नहीं होती है। इस सिस्चम की कीमत काफी कम आती है। लेकिन बैटरी नहीं होने के कारण, बिजली जाने पर कोई भी बिजली उपकरण नहीं चलाए जा सकते हैं जिसके कारण ये काफी सस्ता होता है, इसलिए ये सिस्टम शहरी क्षेत्रों में ज्यादा कारगर साबित होते हैं, जहां बिजली की सप्लाई लगातार होती है। बिजली आपूर्ति के दौरान सिस्टम बिजली पैदा कर वापस ग्रिड को भेजता रहता है। इस तरीके से नियमानुसार आप 80 फीसदी बिजली का बिल कम कर सकते हैं। 

कम्पनी के निदेशक सैकात सरकार का कहना है कि बिजली बिल में होने वाली बचत की वजह से चार से पांच साल में पूरे सोलर प्लांट लगवाने का पैसा वसूल सकते हैं। इसके बाद हर महीने की आय लगाई गई रकम का 18 से 20 फीसदी होती है जो किसी भी अन्य बचत के तरीकों से ज्यादा अच्छा होता है। वहीं ऑफ ग्रिड सिस्टम के बारे में सैकात सरकार बताते हैं कि इस सोलर पैनल से घर में बनी विद्युत ऊर्जा को घर के अंदर रखी बैटरियों में सहेज लिया जाता है। जिससे आप कभी भी बिजली का प्रयोग कर सकते हैं।

ऐसे कर सकते हैं कमाई

ऑन ग्रिड सिस्टम या ऑफ ग्रिड सिस्टम घर की बिजली के बिल को कम करने या शून्य करने के काम आ सकता है, लेकिन अगर इसी माध्यम से मोटी कमाई करनी है तो सोलर सिस्टम के व्यापक तरीके को इस्तेमाल करना होता है। इसे तकनीकी भाषा में रेसको प्रोजेक्ट कहा जाता है। इस माध्यम से ज्यादा बड़े क्षेत्र में बड़े सोलर पैनल लगाकर मोटी कमाई भी की जा सकती है। 

आज हमारा जीवन बिजली से चलने वाले उपकरणो के आसपास रहता है चाहें वो घर में टीवी, एसी, फ्रिज और पंखे या फिर मोबाइल ही क्यों ना हो, हर उपकरणो के लिए बिजली आवश्यक है। ऐसे में चार से पांच सदस्यों के एक सामान्य परिवार में बिजली का बिल प्रतिमाह दो हजार रुपये के आसपास आ जाता है। इस बिल को कम करने के लिए आपको लगभग दो किलोवाट का सोलर एनर्जी सिस्टम अपने छत पर लगवाना पड़ेगा।

एक किलोवाट का सिस्टम लगाने के लिए ऑन ग्रिड सिस्टम में 54,000 रुपए और ऑफ ग्रिड सिस्टम में 90,000 रुपए की लागत आती है। लेकिन यह सिस्टम लगाने के लिए केंद्र और राज्यों की तरफ से आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है जिससे यह लागत कम हो जाती है।

घर की छत पर ही लगा सकते हैं पूरा प्लांट

यूं तो ये सोलर सिस्टम आपके पूरे घर में बिजली पहुंचाएगा लेकिन आपको ये जानकर हैरत होगी कि ये पूरा प्लांट आपके गर की छत के एक कोने के हिस्से में लग सकता है। सामान्य तौर पर एक किलोवाट के लिए 100 स्क्वायर फीट की जगह चाहिए होती है। जिससे एक आम परिवार की जरूरत भर की पूरी बिजली पैदा हो जाती है। मामूली अतिरिक्त लागत से सोलर पैनल को इस तरह डिजाईन किया जा सकता है कि जिससे सोलर पैनल एक शेड की तरह दिखता है, यानी इसके नीचे बैठकर आप जरूरी काम भी कर सकते हैं और ऊपर सोलर पैनल पर बिजली का निर्माण होता रहेगा। 

प्लांट लगाने में सरकार भी करती है मदद 

जब आप सोलर पैनल लगाने के लिए करेंगे तो कम्पनी के कर्मचारी आपके घर दौरा करेंगे और आपकी बिजली की ज़रूरतो को समझ कर, प्रतिमाह बिजली की खपत का अंदाजा लगाएंगे और खपत के अनुसार जितने किलोवाट के सिस्टम की ज़रूरत होती है, उतने किलोवाट के सिस्टम लगाने की सलाह देंगे। हालांकि, सिस्टम की शुरूआती लागत ग्राहक की जेब से ही जाती है, लेकिन जैसे ही कम्पनी सिस्टम लगाने की सूचना सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करती है तो सरकार की तरफ से नियुक्त कोई कर्मचारी सिस्टम को चेक करता है। सिस्टम ठीक लगने पर ग्राहक के बैंक खाते में सीधे सब्सिडी ट्रांसफर कर दी जाती है। सिस्टम लगाने में किसी तरह की त्रुटी होने पर कम्पनी को उसे ठीक करने का आदेश दिया जाता है। इसका कोई चार्ज ग्राहक के ऊपर नहीं आता है। 

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