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Hindi News पैसा बिज़नेस भारत के वे 5 सबसे बड़े मर्जर और अधिग्रहण, जिन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर पर अपनी छाप छोड़ दी

भारत के वे 5 सबसे बड़े मर्जर और अधिग्रहण, जिन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर पर अपनी छाप छोड़ दी

Reliance Tata Vodafone: भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर पर अपनी छाप छोड़ने वाले 5 ऐसे डील के बारे में आज हम जानेंगे, जो इन कंपनियों को एक नई उंचाई पर ले जानें में मील का पत्थर साबित हुए हैं।

5 Biggest Mergers and Acquisitions- India TV Paisa Image Source : INDIA TV कॉर्पोरेट सेक्टर पर अपनी छाप छोड़ने वाले 5 सबसे बड़े डील

Biggest Mergers and Acquisitions: विलय और अधिग्रहण किसी भी देश के कॉर्पोरेट परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसमें भारत कोई अपवाद नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण मर्जर और अधिग्रहण हुए हैं, जिन्होंने उद्योगों को नया आकार दिया है, बाजार की स्थिति मजबूत हुई है और कंपनियों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। हाल ही में HDFC और एचडीएफसी बैंक के बीच विलय हुआ, जो भारत में सबसे अधिक चर्चा में है। इस विलय से ग्राहकों के अलावा कंपनी को भी फायदा पहुंचने की उम्मीद है। आज की स्टोरी में हम भारत के पांच सबसे बड़े विलय और अधिग्रहण सौदों पर चर्चा करेंगे, जिन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है।

कॉर्पोरेट सेक्टर पर अपनी छाप छोड़ने वाले 5 सबसे बड़े डील

वोडाफोन-आइडिया विलय (2018): भारतीय टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर के सबसे महत्वपूर्ण सौदों में से एक वोडाफोन-आइडिया विलय है। वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड बनाने के लिए दो प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों को एक साथ लाया गया था। लगभग 23 बिलियन डॉलर मूल्य के इस विलय का उद्देश्य वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर की बाजार पहुंच और संसाधनों को बढ़ाना था। उस समय इस मर्जर से टेलीकॉम सेक्टर में वोडाफोन-आइडिया को एक मजबूत लीड मिली थी। जो अगले कई महीनों तक कायम रही। उस समय कंपनी के पास सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी थी। 

वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट अधिग्रहण (2018): एक ऐसा ऐतिहासिक कदम जिसने दो बड़ी दिग्गज कंपनियों को एक कर दिया। वॉलमार्ट ने भारत की अग्रणी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की अधिकतर हिस्सेदारी खरीद ली। 16 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन के साथ, अधिग्रहण ने वॉलमार्ट के भारतीय बाजार में प्रवेश को चिह्नित किया। इस सौदे ने वॉलमार्ट को भारत के बढ़ते ई-कॉमर्स सेक्टर में प्रवेश करने और फ्लिपकार्ट के व्यापक ग्राहक आधार और सप्लाई चेन बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने में सक्षम बनाया।

टाटा स्टील-कोरस अधिग्रहण (2007): किसी भारतीय कंपनी द्वारा पश्चिमी दिग्गज कंपनी का अधिग्रहण करने के कुछ उदाहरणों में टाटा स्टील द्वारा एक प्रमुख यूरोपीय इस्पात प्रोड्यूसर कोरस का अधिग्रहण है। यह किसी भारतीय कंपनी द्वारा सबसे बड़े आउटबाउंड अधिग्रहणों में से एक है। लगभग 12 बिलियन डॉलर मूल्य के इस सौदे ने टाटा स्टील को वैश्विक स्टील दिग्गजों की लीग में पहुंचा दिया। इस अधिग्रहण ने टाटा स्टील को नए बाजारों, एडवांस टेक्नोलॉजी और मजबूत वैश्विक उपस्थिति तक पहुंच प्रदान की।

हिंडाल्को-नोवेलिस अधिग्रहण (2007): भारतीय एल्यूमीनियम उत्पादक हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने एल्यूमीनियम रोल्ड उत्पादों में अग्रणी खिलाड़ी नोवेलिस के अधिग्रहण के साथ वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी। लगभग 6 बिलियन डॉलर मूल्य के इस सौदे ने हिंडाल्को को नोवेलिस की विशेषज्ञता, वैश्विक कस्टमर बेस और एडवांस टेक्निक तक पहुंच प्रदान की। इस अधिग्रहण ने वैश्विक एल्युमीनियम कंपनी के रूप में हिंडाल्को की स्थिति को ऊपर उठाया और विकास के नए अवसरों के द्वार खोले।

रिलायंस इंडस्ट्रीज-फ्यूचर ग्रुप अधिग्रहण (2020): मुकेश अंबानी द्वारा संचालित रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फ्यूचर ग्रुप के खुदरा, थोक और लॉजिस्टिक्स व्यवसायों के अधिग्रहण के साथ सुर्खियां बटोरीं। लगभग 3.4 बिलियन डॉलर मूल्य के इस सौदे ने खुदरा क्षेत्र में रिलायंस की स्थिति को मजबूत किया, जिससे उसे पूरे देश में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने का मौका मिला। इस रणनीतिक कदम ने रिलायंस के खुदरा बिजनेस को मजबूत किया और उभरते भारतीय खुदरा बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बढ़ाया।

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