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Hindi News पैसा बिज़नेस स्टार्टअप उद्यमियों को बड़ी राहत, लोन को इक्विटी में बदलने के लिए अब 10 साल का समय

स्टार्टअप उद्यमियों को बड़ी राहत, लोन को इक्विटी में बदलने के लिए अब 10 साल का समय

कोई निवेशक स्टार्टअप में परिवर्तनीय नोट के जरिये निवेश कर सकता है, जो एक प्रकार का बांड/ऋण उत्पाद होता है।

<p>startups</p>- India TV Paisa Image Source : FILE startups

Highlights

  • उद्यमियों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी
  • अभी तक पांच साल तक इक्विटी शेयरों में बदलने की अनुमति थी
  • इस बदलाव से स्टार्टअप कंपनियों का बोझ कम हो सकेगा

नई दिल्ली। सरकार ने स्टार्टअप के लिए कंपनी में किए गए ऋण निवेश को इक्विटी शेयरों में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया है। सरकार के इस फैसले से उभरते उद्यमियों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के एक नोट से यह जानकारी मिली है। अभी तक परिर्वतीय नोट्स को इन्हें जारी करने की तारीख से पांच साल तक इक्विटी शेयरों में बदलने की अनुमति थी। अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। 

कोई निवेशक स्टार्टअप में परिवर्तनीय नोट के जरिये निवेश कर सकता है, जो एक प्रकार का बांड/ऋण उत्पाद होता है। इस निवेश में निवेशक को यह विकल्प दिया जाता है कि यदि स्टार्टअप कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहता या भविष्य में वह प्रदर्शन के मोर्चे पर कोई लक्ष्य हासिल करती है, तो निवेशक उससे अपने निवेश के एवज पर कंपनी के इक्विटी शेयर जारी करने को कह सकता है। स्टार्टअप कंपनी द्वारा कर्ज के रूप में मिले धन के एवज में परिवर्तनीय नोट जारी किया जाता है। धारक के विकल्प के आधार पर इसका भुगतान किया जाता है। या फिर इसे स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयर में बदला जा सकता है। अब इन नोट को जारी करने की तारीख से 10 साल के दौरान इक्विटी शेयर में बदला जा सकेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि परिवर्तनीय नोट स्टार्टअप के लिए शुरुआती चरण के वित्तपोषण का एक आकर्षक माध्यम बन गए हैं। 

डेलॉयट इंडिया के भागीदार सुमित सिंघानिया ने कहा, परिवर्तनीय डिबेंचर/बांड के उलट परिवर्तनीय नोट इक्विटी में बदलने का लचीला विकल्प देते हैं। इसमें अग्रिम में ही परिवर्तनीय अनुप़ात तय करने की जरूरत नहीं होती। सिंघानिया ने कहा कि परिवर्तनीय नोट को इक्विटी में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल किया गया है। इससे स्टार्टअप कंपनियों का बोझ कम हो सकेगा। 

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