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Hindi News पैसा बिज़नेस ईरान में गहराया करेंसी संकट, 10 लाख रियाल की कीमत सिर्फ 1 डॉलर, क्या है वजह?

ईरान में गहराया करेंसी संकट, 10 लाख रियाल की कीमत सिर्फ 1 डॉलर, क्या है वजह?

Currency crisis in Iran : ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित फिरदौसी स्ट्रीट देश के करेंसी एक्सचेंज का मुख्य केंद्र है। यहां के कुछ करेंसी ट्रेडर्स ने रियाल के भाव दर्शाने वाले अपने इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को भी बंद कर दिया है।

ईरान की करेंसी- India TV Paisa Image Source : PIXABAY ईरान की करेंसी

अमेरिका के साथ तनाव में उलझे ईरान में करेंसी संकट गहराता जा रहा है। ईरान की करेंसी रियाल शनिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गई। पारसी नववर्ष 'नवरोज' के दौरान करेंसी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स बंद होने और सड़कों पर केवल अनौपचारिक कारोबार ही होने से रियाल का भाव रसातल में चला गया है। हालत यह है कि रियाल का भाव 10 लाख रियाल प्रति डॉलर से नीचे आ गया। इस त्योहारी छुट्टी ने एक्सचेंज मार्केट पर अतिरिक्त दबाव बनाने का काम किया। शनिवार को करेंसी कारोबार दोबारा शुरू होने पर रियाल की एक्सचेंज रेट और भी गिरकर 10.43 लाख रियाल प्रति डॉलर रह गई।

और गिर सकता है रियाल

रियाल की करेंसी में गिरावट का दौर कुछ समय तक बरकरार रहेगा। ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित फिरदौसी स्ट्रीट देश के करेंसी एक्सचेंज का मुख्य केंद्र है। यहां के कुछ करेंसी ट्रेडर्स ने रियाल के भाव दर्शाने वाले अपने इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को भी बंद कर दिया है। दरअसल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल के भाव में संभावित गिरावट की मात्रा को लेकर अभी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। ईरान के संबंध अमेरिका के साथ लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। इसका भी रियाल मुद्रा की कीमत पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से प्रभावित है इकोनॉमी

ईरान की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बुरी तरह प्रभावित हुई है। खासकर 2018 में अमेरिका के तेहरान के साथ परमाणु समझौते से हटने के बाद इस देश की इकोनॉमी पर गंभीर असर पड़ा है। 2015 के समझौते के समय ईरान ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने के बदले में यूरेनियम के अपने संवर्धन और भंडारण को काफी हद तक सीमित कर दिया था। उस समय रियाल 32,000 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था। जनवरी में ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान को टार्गेट करने वाले प्रतिबंध लाकर इस देश पर "अधिकतम दबाव" बनाने का अभियान फिर से शुरू हो गया। ट्रंप ने फिर से ईरानी कच्चे तेल का व्यापार करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसा, जिसमें चीन में डिस्काउंट पर बेचने वाली कंपनियां भी शामिल थीं।

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