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Hindi News पैसा बिज़नेस फसलों को सेहतमंद और किसानों की आय बढ़ाएगा ड्रोन, सरकार ने बनाई यह योजना

फसलों को सेहतमंद और किसानों की आय बढ़ाएगा ड्रोन, सरकार ने बनाई यह योजना

खेतीबाड़ी के उपयोग के लिए ये ड्रोन प्रदेश के कृषि स्नातकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर, कृषि उत्पादन संगठनों (एफपीओ) एवं ऑपरेटिव सोसाइटीज को 40 फीसद अनुदान पर मिलेंगे।

Drones- India TV Paisa Image Source : AP Drones

किसानों की फसलों की देखभाल को बेहतर करने के लिए सरकार ड्रोन का प्रयोग करने जा रही है। यह ड्रोन न सिर्फ फसलों को स्वस्थ रखने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करेगा। बल्कि इनकी हरियाली बढ़ाने और ताकत देने पर निगरानी करेगा। इससे फसल रोग मुक्त होगी और पैदावार भी बढ़ेगी। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग अद्यतन तकनीक का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे। ड्रोन के जरिए किसान एक एकड़ खेत में कीटनाशकों, वाटर सॉल्युबल (पानी में घुलनशील) उर्वरकों एवं पोषक तत्वों का सिर्फ सात मिनट में छिड़काव कर सकते हैं। इससे समय एवं संसाधन तो बचेगा ही, मैनुअल छिड़काव से होने वाले संबंधित व्यक्ति को जहरीले रसायनों के खतरे से मिलने वाली सुरक्षा बोनस है।

फसल की बढ़वार बेहतर होगी

विशेषज्ञों के अनुसार पर्णीय छिड़काव (घोलकर किये जाने वाले छिड़काव) के और भी लाभ हैं। अगर यह लाभ ऊपर से हो तब तो और भी अच्छा। मसलन मैनुअल छिड़काव की तुलना में ऊपर से किये जाने वाले छिड़काव से खेत समान रूप से संतृप्त होता है। जिस चीज का भी छिड़काव किया जाता है वह पौधों में पत्तियों के जरिए ऊपर से नीचे तक जाता है। इसका असर भी बेहतर होता है। अब तो हर तरीके की पानी में घुलनशील खाद एवं पोषक तत्वों भी अलग अनुपात में एक-एक किलो के पैकेट में उपलब्ध हैं। नैनो यूरिया भी उपलब्ध है। परंपरागत रूप से खेतों में जिस खाद का किसान हाथ से छिड़काव करते हैं उसका 15 से 40 फीसद ही फसल को प्राप्त होता है। जबकि पानी के साथ छिड़के जाने वाले उर्वरक का करीब 90 फीसद तक फसल को प्राप्त होता है। इससे फसल की बढ़वार बेहतर होती है। नतीजतन उपज भी अच्छी होती है। श्रम, समय और लागत में कमी के बावजूद अच्छी उपज से किसानों की आय बढ़ जाती है। यह परंपरागत खाद की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ते भी हैं। सीमित संख्या में ही सही उत्तर प्रदेश के किसान भी शीघ्र ही अपनी खेतीबाड़ी में ड्रोन का प्रयोग कर सकेंगे।

32 ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार को कुल 32 ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इनमें से 4 कृषि विश्वविद्यालयों को, 10 कृषि विज्ञान केंद्रों और बाकी 18 आईसीएआर (इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीटूट) के संस्थानों को मिलेंगे। इनको खरीदने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 5 करोड़ 60 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त कर दी गई है। इनके जरिए प्रदेश भर में कुल 8 हजार हेक्टेयर भूमि पर डेमोंसट्रेशन प्रदर्शन कराया जाना है। खेतीबाड़ी के उपयोग के लिए ये ड्रोन प्रदेश के कृषि स्नातकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर, कृषि उत्पादन संगठनों (एफपीओ) एवं ऑपरेटिव सोसाइटीज को 40 फीसद अनुदान पर मिलेंगे। इस तरह किसी कृषि स्नातक को लगभग 10 लाख रुपए मूल्य के इस ड्रोन के लिए केवल 5 लाख रुपए चुकाने होंगे।  पिछले दिनों कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की मौजूदगी में सैकड़ों किसानों ने लखनऊ स्थित रहीमाबाद में ड्रोन का डिमोस्ट्रेशन देखा। साथ ही यह भी कहा कि इससे होने वाले लाभ के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए शीघ्र ही पूरे प्रदेश में इसी तरह के डिमांस्ट्रेशन कराए जाएंगे।

फसलों में भी छिड़काव संभव

इफको के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. डीके सिंह के मुताबिक ड्रोन से उन फसलों में भी छिड़काव संभव है जिनमें आकार बड़ा होने के नाते सामान्य तरीके से छिड़काव में दिक्कत आती है। साथ ही इन फसलों में छिड़काव करने वाला भी रसायन के दुष्प्रभाव से असुरक्षित होता है। मसलन गन्ना, अरहर आदि।  नैनो यूरिया का छिड़काव बोआई के 30-40 दिन बाद जब खेत फसल से पूरी तरह आच्छादित होता है तब करते हैं। ड्रोन से जो छिड़काव होता है उसके ड्रापलेट्स (बूंदे) बहुत महीन तकरीबन मिस्ट (ओस की बूंद) जैसी होती हैं। लिहाजा पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की तुलना में पानी भी प्रति एकड़ एक चौथाई (25 लीटर) ही लगता है। खड़ी फसल पर छिड़काव होने के नाते इसका असर जमीन तक नहीं पहुंचता लिहाजा यूरिया की लीचिंग (रिसाव) से जल, जमीन को होने वाली क्षति भी नहीं होती। नैनो यूरिया के साथ पानी में घुलनशील जितने तरह के उर्वरक हैं उनको भी फसल की जरूरत के अनुसार मिलाया जा सकता है।

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