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Hindi News पैसा बिज़नेस ED ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनी कोडा पेमेंट्स इंडिया पर मारा छापा, 68 करोड़ रुपये की राशि फ्रीज की

ED ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनी कोडा पेमेंट्स इंडिया पर मारा छापा, 68 करोड़ रुपये की राशि फ्रीज की

ईडी के अनुसार, कंपनी ने अबतक 2,850 करोड़ रुपये जुटाए और इसमें से कर समेत मामूली मुनाफा रखकर 2,265 करोड़ रुपये भारत के ‘बाहर’ भेज दिए गए।

ED- India TV Paisa Image Source : FILE ED

प्रवर्तन निदेशायालय (ईडी) ने एक गेमिंग कंपनी और उससे संबंधित इकाइयों पर छापेमारी के बाद 68 करोड़ रुपये की राशि जब्त (फ्रीज) की है। एक मोबाइल गेमिंग कंपनी द्वारा कथित तौर पर बच्चों समेत कई लोगों से धोखाधड़ी से पैसा लेने और धन को सिंगापुर भेजने के मामले में यह कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने धन शोधन जांच के तहत कोडा पेमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (सीपीआईपीएल) के तीन परिसरों की तलाशी ली।

2,265 करोड़ भारत के ‘बाहर’ भेज दिए गए

ईडी के अनुसार, कंपनी ने अबतक 2,850 करोड़ रुपये जुटाए और इसमें से कर समेत मामूली मुनाफा रखकर 2,265 करोड़ रुपये भारत के ‘बाहर’ भेज दिए गए। प्रवर्तन निदेशायालय ने बताया कि कंपनी गरेना, फ्री फायर, तीन पत्ती गोल्ड, कॉल ऑफ ड्यूटी जैसे मोबाईल गेम का संचालन करती है। बयान के अनुसार, कई पुलिस प्राथमिकी और गेमिंग पोर्टल्स चलाने वाले गेमर्स और कुछ अन्य मामलों पर भी संज्ञान लेने के बाद कंपनी के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया गया था। ईडी ने आरोप लगाते हुए कहा कि गरेना और कोडा पेमेंट्स इंडिया जैसे गेम डेवलपर्स ने ‘जानबूझकर’ भुगतान तंत्र को इस तरह से तैयार किया कि पहले सफल लेनदेन के बाद, गेम की तरफ से एक अधिसूचना आती है, जो बिना किसी प्रमाणीकरण के अगली बार भी भुगतान करने की अनुमति मांगती है।

राजकोट की कंपनी की संपत्तियां कुर्क की

ईडी ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में जारी धनशोधन जांच के तहत राजकोट की एक कंपनी के संयंत्र, मशीनरी, भूमि और भूखंड को कुर्क कर दिया है। जांच एजेंसी ने बताया कि यह मामला 44 करोड़ रुपये की बैंक कर्ज धोखाधड़ी का है। जांच एजेंसी ने बताया कि मंदीप इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी की जिन संपत्तियों की कुर्की की गई है उनका मूल्य करीब 16 करोड़ रुपये है। कुर्की का आदेश धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दिया गया है। इस कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दर्ज किया था। शिकायकर्ता ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को कर्ज अदायगी में चूक की जिससे बैंक को 44.64 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

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