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Hindi News पैसा बिज़नेस विदेशी मुद्रा भंडार में खलबली, सात दिनों में 2.95 अरब डॉलर बढ़कर पहुंचा टॉप लेवल पर, जानें लेटेस्ट फिगर

विदेशी मुद्रा भंडार में खलबली, सात दिनों में 2.95 अरब डॉलर बढ़कर पहुंचा टॉप लेवल पर, जानें लेटेस्ट फिगर

सितंबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 अरब डॉलर के उच्चस्तर पर पहुंच गया था। डॉलर के संदर्भ में विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है।

यह लगातार छठा सप्ताह है, जब विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। - India TV Paisa Image Source : FILE यह लगातार छठा सप्ताह है, जब विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 मार्च को समाप्त सप्ताह में 2.95 अरब डॉलर से अधिक बढ़कर 645.58 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने यह जानकारी दी है। यह लगातार छठा सप्ताह है, जब विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। इससे एक सप्ताह पहले देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 14 करोड़ डॉलर बढ़कर 642.63 अरब डॉलर हो गया था। सितंबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 अरब डॉलर के उच्चस्तर पर पहुंच गया था।

विदेशी मुद्रा आस्तियां 570.61 अरब डॉलर हो गईं

खबर के मुताबिक, लेकिन सितंबर, 2021 में वैश्विक गतिविधियों के चलते उत्पन्न दबावों के बीच केंद्रीय बैंक ने रुपये की गिरावट को थामने के लिए पूंजी भंडार का उपयोग किया, जिससे मुद्रा भंडार में थोड़ी कमी आई थी। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 29 मार्च को खत्म सप्ताह में मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां 2.35 अरब डॉलर बढ़कर 570.61 अरब डॉलर हो गईं। डॉलर के संदर्भ में विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है।

स्वर्ण आरक्षित भंडार

रिजर्व बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान स्वर्ण आरक्षित भंडार का मूल्य 67.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 52.16 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 7.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.14 अरब डॉलर रह गया। रिजर्व बैंक के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत की आरक्षित जमा भी 20 लाख डॉलर घटकर 4.66 अरब डॉलर रह गई। विदेशी मुद्रा भंडार से किसी भी देश की अर्थव्यव्था में कितना दम है, इसका संकेत मिलता है। एक दौर वह भी था जब साल 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग शून्य हो गया था और तब विदेश से आयात करने के लिए हमें बैंकों में मौजूद स्वर्ण गिरवी रखना पड़ा था।

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