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Hindi News पैसा बिज़नेस Global Recession 2022: वैश्विक मंदी की चिंता के बीच भारत को लेकर आई अच्छी खबर, जानें क्या

Global Recession 2022: वैश्विक मंदी की चिंता के बीच भारत को लेकर आई अच्छी खबर, जानें क्या

नरेंद्र मोदी सरकार ने सप्लाई साइड में जो सुधार किए हैं उनके कारण भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले कहीं अधिक लचीली और जुझारू।

Global Recession 2022- India TV Paisa Image Source : AP Global Recession 2022

Global Recession 2022: दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल ने रविवार को यह कहा। सान्याल ने कहा कि 2000 की शुरुआत में बाहरी माहौल जिस तरह से सकारात्मक था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि कर रही थी वैसे माहौल में भारत नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित ही ऐसा माहौल बनने जा रहा है जहां दुनियाभर के कई देशों को कम वृद्धि का सामना करना पड़ेगा बल्कि वे मंदी में भी जा सकते हैं।’’

भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहेगा

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अनेक कारण हैं मसलन सख्त मौद्रिक नीति से लेकर ऊर्जा की ऊंची कीमतें तथा यूक्रेन युद्ध की वजह से उत्पन्न व्यवधान।’’ विश्व बैंक ने बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात का हवाला देते हुए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को हाल में घटा दिया। ताजा अनुमानों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो जून, 2022 के अनुमान से एक प्रतिशत कम है। सान्याल ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहेगा, वह चालू वित्त वर्ष में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सात प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत रहेगी।’’

भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले जुझारू

उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार ने आपूर्ति पक्ष में जो सुधार किए हैं उनके कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले कहीं अधिक लचीली और जुझारू है। उन्होंने कहा कि अगर भारत को वैसा बाहरी माहौल मिल जाए जो 2002-03 से 2006-07 के बीच था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी, वैश्विक मुद्रास्फीतिक दबाव कम थे, वैसी स्थिति में अर्थव्यवस्था नौ प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। सान्याल ने कहा, ‘‘लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं है जिसे देखते हुए सात प्रतिशत की वृद्धि को अच्छा प्रदर्शन कहा जाएगा।’’ रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने के बारे में सान्याल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमें सिर्फ डॉलर रुपये की विनिमय दर के आधार पर इसे तरजीह देनी चाहिए।’’ सान्याल ने कहा कि अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है। इन परिस्थितियों में डॉलर को छोड़कर अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया वास्तव में मजबूत हो

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