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Hindi News पैसा बिज़नेस इस सर्वे ने खोली देश के आर्थिक विकास की पोल, औसत आय से लेकर खर्च तक हर तरह से असुरक्षित भारतीय

इस सर्वे ने खोली देश के आर्थिक विकास की पोल, औसत आय से लेकर खर्च तक हर तरह से असुरक्षित भारतीय

Indian Economy: भारत के आर्थिक विकास के तरह-तरह के दावे के बावजूद ये रिपोर्ट उनकी पोल खोलती नजर आती है। देश की आधी से अधिक आबादी खुद को वित्तीय रुप से असुरक्षित महसूस कर रही है। कई चौंकाने वाले खुलासे इस रिपोर्ट में किए गए हैं।

इस सर्वे ने खोली देश के आर्थिक विकास की पोल- India TV Paisa Image Source : FREEPIK इस सर्वे ने खोली देश के आर्थिक विकास की पोल

Indian Economy: भारत के आर्थिक विकास को लेकर किए जा रहे सभी दावे को वित्तीय असुरक्षा सर्वे ने खारिज कर दिया है। इस सर्वे के मुताबिक, वित्तीय सुरक्षा की दिशा में मजबूत प्रगति और वित्तीय सेवा उद्योग के विस्तार के बावजूद देश के करीब 69 प्रतिशत परिवार अपनी वित्तीय असुरक्षा और कमजोरी का सामना कर रहे हैं। 

औसत आय 15,000 रुपये प्रति माह से भी कम

'इंडियाज पर्सनल फाइनेंस पल्स' नाम के इस सर्वेक्षण में भारतीय परिवारों की आय, बचत, निवेश एवं खर्च से जुड़े बिंदुओं को समेटने की कोशिश की गई है। इस सर्वेक्षण के आधार पर परिवारों की आमदनी, खर्च एवं बचत के तौर-तरीकों को समझा गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, "देश में 4.2 सदस्यों वाले एक परिवार की औसत आय 23,000 रुपये प्रति माह है। वहीं 46 प्रतिशत से अधिक परिवारों की औसत आय 15,000 रुपये प्रति माह से भी कम है। इसका मतलब है कि ये परिवार आकांक्षी या निम्न आय समूह से ताल्लुक रखते हैं।" 

तीन प्रतिशत लोगों के पास सुख-सुविधा

यह सर्वेक्षण रिपोर्ट कहती है कि देश के सिर्फ तीन प्रतिशत परिवारों का ही जीवन-स्तर सुख-सुविधा से भरपूर है और उनमें में अधिकतर परिवार उच्च आय वर्ग से संबंधित हैं। इस सर्वेक्षण में पाया गया कि करीब 70 प्रतिशत परिवार बैंक जमा, बीमा, डाकघर बचत और सोने के रूप में अपनी वित्तीय बचत करते हैं। इनमें भी उनका सबसे ज्यादा जोर बैंकों एवं डाकघरों पर होता है और जीवन बीमा एवं सोना का स्थान उसके बाद आता है। भारतीय परिवारों की बचत का 64 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बैंक खातों में जमा के रूप में है जबकि सिर्फ 19 प्रतिशत परिवारों को ही बीमा की सुरक्षा हासिल है। 

20 राज्यों के 31,510 परिवारों से बात की गई

मई और सितंबर के बीच कराए गए इस देशव्यापी सर्वेक्षण में 20 राज्यों के 31,510 परिवारों से बात की गई। इस दौरान शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण परिवारों से भी चर्चा की गई। सभी से बातचीत करने के बाद ये रिपोर्ट तैयार हुई है। ये रिपोर्ट भारत के आर्थिक विकास की पोल खोलती नजर आती है।

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