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Hindi News पैसा बिज़नेस सुबह-सुबह RBI ने दे दी बड़ी खुशखबरी! Home-Car लोन वालों को मिली राहत, जानें पॉलिसी की अहम बातें

सुबह-सुबह RBI ने दे दी बड़ी खुशखबरी! Home-Car लोन वालों को मिली राहत, जानें पॉलिसी की अहम बातें

आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला मई, 2022 में शुरू किया था। नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का यह सिलसिला फरवरी, 2023 तक जारी रहा। इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई।

RBI Governor Shaktikanta Das - India TV Paisa Image Source : PTI आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार चौथी बार आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। वह भी तब जब खुदरा महंगाई की दर आरबीआई के लक्ष्य से बाहर है। आरबीआई के इस फैसले से होम, कार समेत तमाम तरह के लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिली है। आपको बता दें कि अगस्त में खुदरा महंगाई की दर 6.83% रही थी। यह आरबीआई के महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने के लक्ष्य से बाहर है। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला मई, 2022 में शुरू किया था। नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का यह सिलसिला फरवरी, 2023 तक जारी रहा। इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि उसके बाद से आरबीआई की मौद्रिक नीति निर्धारण संबंधी सर्वोच्च इकाई एमपीसी ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली तीन द्विमासिक बैठकों में एमपीसी ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर ही बनाए रखा है। 

आरबीआई पॉलिसी की अहम बातें 

  • मजबूत मांग से घरेलू अर्थव्यवस्था जुझारू बनी हुई है।
  • सितंबर में महंगाई दर में कुछ नरम आएगी। यानी महंगाई घटेगी। 
  • मौद्रिक समिति ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है।
  • एमपीसी मुद्रास्फीति के हिसाब से जरूरत के अनुरूप कदम उठाने को तैयार।
  • पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन से संकेत मिलता है कि निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ रहा है।
  • रेपो दर में ढाई प्रतिशत की कटौती का पूरा लाभ अभी तक उपोभक्ताओं तक नहीं पहुंचा है।
  • रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा।
  • केंद्रीय बैंक का अनुमान, 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहेगी। 
  • सब्जियों की कीमत कम होने और रसोई गैस सिलेंडर के दाम में घटने से निकट भविष्य में मुद्रास्फीति में नरमी आएगी।
  • खुदरा मुद्रास्फीति के अगले वर्ष 5.2 प्रतिशत पर आने की उम्मीद।
  • तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में निरंतर कमी देखने को नहीं मिलेगी।
  • खाद्य और ईंधन की कीमतों में अचानक वृद्धि से निपटने के लिए मौद्रिक नीति पूरी तरह तैयार होनी चाहिए।
  • संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है। 

लोगों को महंगाई से मिलेगी राहत 

आरबीआई मौद्रिक पॉलिसी की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सब्जियों के दाम में कमी आई है। इसका असर सितंबर महीने की महंगाई दर पर देखने को मिलेगा। महंगाई दर में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि ऊंची महंगाई दर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है। उन्होंने बताया कि मौद्रिक पॉलिसी में शामिल सभी सदस्य रेपो रेट को स्थिर रखने के पक्ष में मत दिया। गवर्नर ने कहा कि आरबीआई का लक्ष्य महंगाई दर को 4 फीसदी लाने का है। हम उस लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं। हालांकि, हम विकास के साथ तालमेल कर महंगाई को धीरे-धीरे कम करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। 

जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहेगी 

आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक पॉलिसी की घोषणा करते हुए कि ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी। आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट को बरकरार रखा है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी की दर 6 फीसदी पर बरकरार रखा है। 

भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत 

मौद्रिक पॉलिसी की घोषणा करते हुए दास ने कहा कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम में मजबूती बनी हुई है। आरबीआई ने कहा कि पर्सनल लोन की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ा है। आरबीआई इस पर नजर रखे हुए है। आरबीआई वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि कोर महंगाई में कमी आई है। यह प्राइस स्टेबिलिटी के लिए अहम है।  

क्या होता है रेपो रेट 

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए इसका उपयोग करता है। साथ ही एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है। दास ने कहा कि भारत दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन बना हुआ है, लेकिन आत्मसंतुष्टि की गुंजाइश नहीं है। एमपीसी मुद्रास्फीति को लेकर जरूरत के अनुसार कदम उठाएगी। आरबीआई ने अगस्त, जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था। इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। 

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