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RBI Monetary Policy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्या कहा? 10 प्वाइंट में यहां समझिए

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन कई ऐसी घोषणाएं की है जो आम आदमी की चिंता बढ़ाने वाली है।

<p>RBI Gov</p>- India TV Paisa Image Source : FILE RBI Gov

Highlights

  • रेपो को लगातार 11वीं बार यथावत रखते हुए इसे 4 प्रतिशत पर कायम रखा
  • 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत किया
  • रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने का फैसला

नई दिल्ली। आसमान छूती महंगाई और रूस-यूक्रेन संकट के बीच सभी की नजरे आज भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा पॉलिसी पर थी। अनुमान के अनुसार, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन कई ऐसी घोषणाएं की है जो आम आदमी की चिंता बढ़ाने वाली है। आइए समझते हैं कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक पॉलिसी में क्या कहा और उसके मायने क्या हैं?

1. भारतीय अर्थव्यवस्था नई और एवं बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है।

2. भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से संतोषजनक स्थिति में, रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था के ‘बचाव’ के लिए पूरी तरह से तैयार है। 

3. रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर रेपो को लगातार 11वीं बार यथावत रखते हुए इसे 4 प्रतिशत पर कायम रखा है। 

4. आरबीआई ने वृद्धि को कायम रखने और मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए अपने नरम रुख में थोड़े बदलाव किया है। 

5. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने का फैसला किया है। 

6. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं। 

7. रूस-यूक्रेन युद्ध आर्थिक पुनरुद्घार को धीमा कर सकता है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत किया। 

8. ईंधन के ऊंचे दामों की वजह से महंगाई और बढ़ सकती है। निकट भविष्य में खाद्य तेलों की कीमतें ऊंचे स्तर पर रहेंगी। हालांकि, रबी फसलों की अच्छी पैदावार से ग्रामीण मांग को समर्थन मिलना चाहिए, संपर्क वाली सेवाओं में तेजी आने से शहरी मांग को सहारा मिल सकता है। 

9. चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति बढ़कर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। पहले इसके 4.5 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान था। 

10. रिजर्व बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगी। आरबीआई आर्थिक प्रणाली में डाली गई 8.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता को क्रमबद्ध ढंग से कुछ साल में वापस लेगा। साथ ही रिजर्व बैंक वैश्विक प्रभाव से बचाने के लिए कदम उठाए हैं। 

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