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Satellite Communication स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए आमने-सामने हुए जियो-एयरटेल, सामने आई वजह

Jio-Airtel: एयरटेल ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले में प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन सिर्फ नीलामी से ही किए जाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया था। पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।

satellite communication Jio-Airtel - India TV Paisa Image Source : FILE Jio-Airtel

Satellite Communication: सेटेलाइट कम्यूनिकेशन के लिए स्पेट्रम आवंटन के लिए नीलामी का जियो सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस ने समर्थन किया है जबकि भारती एयरटेल समेत अधिकांश दूरसंचार कंपनियों ने इसके खिलाफ राय दी है। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी स्पेकएक्स ने भी नीलामी मॉडल का समर्थन किया है लेकिन उसने स्पेक्ट्रम के बजाय सालाना राजस्व के प्रतिशत के लिए बोलियां लगाने का सुझाव दिया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन पर संबंधित पक्षों से 22 जून तक टिप्पणियां आमंत्रित की थीं। ट्राई ने शुक्रवार को इन सुझावों के बारे में ब्योरा जारी किया। इसके मुताबिक, रिलायंस जियो की सहयोगी इकाई जियो सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस लिमिटेड (जेएससीएल) ने नीलामी के जरिये स्पेक्ट्रम आवंटन का सुझाव दिया है। 

अतिरिक्त निवेश लाने में भूमिका

उसने कहा कि नीलामी ही अंतरिक्ष-आधारित रेडियो तरंगों के आवंटन का सबसे वैध तरीका है। जेएससीएल ने कहा कि नियामकीय निश्चितता होने से निवेश सुरक्षित रहता है और इस क्षेत्र में अतिरिक्त निवेश लाने में भूमिका निभाता है। दूसरी तरफ प्रशासनिक आवंटन अनिश्चित, नई कंपनी के खिलाफ और 'पहले आओ, पहले पाओ' की वजह से अप्रत्याशित होता है। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं में से सिर्फ वोडाफोन आइडिया ने ही नीलामी के जरिये अंतरिक्ष-आधारित स्पेक्ट्रम के आवंटन का समर्थन किया है। हालांकि एयरटेल, वनवेब, टाटा समूह की नेल्को, इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा), सैटकॉम उद्योग संघ एवं अन्य कंपनियों ने नीलामी के जरिये स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल उठाए हैं। 

एयरटेल ने बताई वजह

एयरटेल ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले में प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन सिर्फ नीलामी से ही किए जाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया था। वहीं अंतरिक्ष संचार उद्योग के निकाय इस्पा ने कहा कि टेरेस्ट्रियल स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए तो नीलामी सही तरीका है लेकिन उपग्रह स्पेक्ट्रम के मामले में यह कोई तरजीही तरीका नहीं है। इसकी जगह पर उसने प्रशासनिक स्तर पर आवंटन का समर्थन किया है।  

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