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Hindi News पैसा बिज़नेस वनस्पति तेल आयात में आई बड़ी गिरावट, फरवरी में घटकर हो गया इतना, जानें भारत ने कितना मंगाया

वनस्पति तेल आयात में आई बड़ी गिरावट, फरवरी में घटकर हो गया इतना, जानें भारत ने कितना मंगाया

भारत खाद्य तेलों की अपनी 50 प्रतिशत से अधिक घरेलू जरूरत को आयात से पूरा करता है। भारत द्वारा इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात किया जाता है।

खाद्य तेल आवश्यकताओं के लिए पाम तेल की उपलब्धता में कमी आई है।- India TV Paisa Image Source : FILE खाद्य तेल आवश्यकताओं के लिए पाम तेल की उपलब्धता में कमी आई है।

देश में विदेश से वनस्पति तेल के आयात के आंकड़ों में गिरावट आई है। भारत ने फरवरी में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत से कम लगभग 9.75 लाख टन ही वनस्पति तेल आयात किया है। उद्योग के आंकड़ों से बुधवार को यह जानकारी मिली है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने बयान में कहा कि फरवरी के दौरान वनस्पति तेलों (खाद्य तेलों और गैर-खाद्य तेलों सहित) का आयात 9,74,85 टन रहा, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 11,14,481 टन था। कुल आयात में खाद्य तेल का हिस्सा घटकर 9,67,852 टन रह गया। फरवरी, 2023 में यह 10,98,475 टन था।

एक साल में कुल आयात

खबर के मुताबिक, गैर खाद्य तेलों का आयात भी एक साल पहले की समान अवधि के 16,006 टन से घटकर 7,000 टन रह गया। नवंबर, 2023-फरवरी, 2024 की अवधि के दौरान, वनस्पति तेलों का कुल आयात 21 प्रतिशत घटकर 46,47,963 टन रह गया, जो पिछले तेल वर्ष की इसी अवधि में 58,87,900 टन था। तेल मार्केटिंग वर्ष नवंबर से अक्टूबर तक चलता है। तेल वर्ष 2023-24 के पहले चार माह के दौरान खाद्य तेलों का आयात घटकर 46,15,551 टन रह गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 58,44,765 टन था।

50% से अधिक घरेलू जरूरत आयात से होता है पूरा

तेल वर्ष 2023-24 की नवंबर-फरवरी अवधि के दौरान गैर-खाद्य तेलों का आयात घटकर 32,412 टन रह गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 43,135 टन था। भारत खाद्य तेलों की अपनी 50 प्रतिशत से अधिक घरेलू जरूरत को आयात से पूरा करता है। भारत द्वारा इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात किया जाता है। यह अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल का आयात करता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि फरवरी, 2024 में वनस्पति तेल के आयात में गिरावट जारी रही। खाद्य तेल आवश्यकताओं के लिए पाम तेल की उपलब्धता में कमी आई है क्योंकि मुख्य दो उत्पादक देश मलेशिया और इंडोनेशिया इसे बायोडीजल के उत्पादन के लिए लगा रहे हैं।

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