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Hindi News पैसा बाजार एफपीआई ने सितंबर में भारतीय बाजारों से 476 करोड़ रुपये निकाले

एफपीआई ने सितंबर में भारतीय बाजारों से 476 करोड़ रुपये निकाले

एफपीआई ने एक से 25 सितंबर के दौरान शेयरों से शुद्ध रूप से 4,016 करोड़ रुपये निकाले। इस दौरान उन्होंने बांड मार्केट में 3,540 करोड़ रुपये का निवेश किया है। । एफपीआई ने जून से अगस्त के बीत लगातार तीन महीने बाजार से निवेश किया है।

<p>एफपीआई का सितंबर में...- India TV Paisa Image Source : GOOGLE एफपीआई का सितंबर में बाजार में निवेश

नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर में अब तक भारतीय बाजारों से 476 करोड़ रुपये की निकासी की है। यूरोप और अन्य देशों में कोरोना वायरस संक्रमण फिर उभरने के बीच यह उनके सतर्क रुख को दर्शाता है। निवेशकों को आशंका है कि महामारी की दूसरी लहर के शुरू होने से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं एक बाऱ फिर नए प्रतिबंध लगा सकती है, जिससे रिकवरी में देरी होने का डर बन गया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से 25 सितंबर के दौरान शेयरों से शुद्ध रूप से 4,016 करोड़ रुपये निकाले। इस दौरान उन्होंने ऋण या बांड बाजार में 3,540 करोड़ रुपये डाले। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 476 करोड़ रुपये रही। एफपीआई लगातार तीन महीने (जून से अगस्त) तक शुद्ध लिवाल रहे थे। अगस्त में उन्होंने भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 46,532 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जुलाई में उनका निवेश 3,301 करोड़ रुपये और जून में 24,053 करोड़ रुपये रहा था।

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘यूरोप और अन्य देशों में कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने और प्रभावित क्षेत्रों में नए सिरे से संभावित लॉकडाउन की आशंका से एफपीआई सतर्क रुख अपना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों की वजह से भी एफपीआई का भरोसा कायम नहीं हो पा रहा है।

वहीं विदेशी बाजारों से मिले संकेतों के बाद विदेशी निवेश अब बाजार में मुनाफा वसूली कर रहे हैं, दरअसल बाजार में पिछले काफी समय से बढ़त का रुख देखने को मिल रहा है। जानकार मान रहे हैं कि सिस्टम में नकदी बढ़ने से अलग अलग एसेट्स में निवेश बढ़ रहा है वहीं जितनी तेजी से निवेशक पैसा लगा रहे हैं, मुनाफा मिलने में वो उतनी तेजी से पैसा भी निकाल रहे हैं। दरअसल अनिश्चितता को देखते हुए निवेशक ज्याद वक्त जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं।

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