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Hindi News धर्म त्योहार Hartalika Teej 2023: क्यों मनाई जाती है तीज? यहां पढ़ें हरतालिका तीज व्रत की पौराणिक कथा

Hartalika Teej 2023: क्यों मनाई जाती है तीज? यहां पढ़ें हरतालिका तीज व्रत की पौराणिक कथा

Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज को गौरी तृतीया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। हरतालिका तीज व्रत कन्याओं द्वारा अच्छे पति की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने सौभाग्य में बढ़ोतरी के लिए करती हैं।

Hartalika Teej 2023- India TV Hindi Image Source : FILE IMAGE Hartalika Teej 2023

Hartalika Teej 2023: आज विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं। आज के दिन भगवान शिवजी और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से सुखी दांपत्य जीवन और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हरतालिका तीज का व्रत निर्जला किया जाता है। इस व्रत में कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। इसके अलावा व्रती महिलाओं को रात में सोना भी वर्जित होता है। तीज के दिन उन्हें रात में भगवान की आराधना करना होता है। हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है लेकिन यह व्रत काफी प्रभावशाली और फलदायी माना जाता है। तीज का व्रत इसके कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। तो ऐसे में हरतालिका तीज की पूजा करने के बाद तीज की कथा अवश्य पढ़ें।

हरतालिका तीज व्रत कथा

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, माता पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था। वह हमेशा भगवान शिव की तपस्या और ध्यान में लीन रहती थीं। पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता होने लगी। इस संबंध में उन्‍होंने नारदजी से चर्चा की तो उनके कहने पर उन्‍होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्‍णु से कराने का निश्‍चय किया। पार्वतीजी, विष्‍णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं। वहां पार्वती जी ने कठोर तप और शिवजी की उपासना की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत या मिट्टी से शिवलिंग बनाकर शिवजी की स्तुति की।  माता पार्वती तब तक कठिन तपस्या करती रही जब तक शिवजी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया। कहते हैं कि मां पार्वती की तपस्या देखने के बाद भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिया और पत्नी की रूप में पार्वती जी को स्वीकार किया। कहते हैं कि तभी से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज व्रत करने की परंपरा शुरू हुई। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी कन्याएं भी करती हैं। कहते हैं कि इस व्रत को करने से मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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