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Hindi News धर्म त्योहार Merry Christmas 2022: क्रिसमस डे की शुरुआत कब हुई थी? जानिए इस पर्व से जुड़ी कई दिलचस्प बातें

Merry Christmas 2022: क्रिसमस डे की शुरुआत कब हुई थी? जानिए इस पर्व से जुड़ी कई दिलचस्प बातें

Christmas Day 2022: प्रभु ईसा मसीह के जन्म की खुशी में क्रिसमस डे मनाया जाता है। इस दिन चर्चो को लाइट और झालरों से सजाया जाता है। साथ ही मोमबत्ती जलाकर विशेष प्रार्थना भी की जाती है। इस दिन लोग घरों में क्रिसमस ट्री को सजाते हैं साथ साथ ही एक दूसरे को गिफ्ट्स भी देते हैं।

Christmas 2022- India TV Hindi Image Source : FREEPIK क्रिसमस डे 2022

Chirstmas Day 2022: 'जिंगल बेल, जिंगल बेल, जिंगल बेल, जिंगल बेल ऑल द वे...' इस समय सोशल मीडिया से लेकर बाजार और घरों में यही एक धुन सुनाई दे रही है। क्रिसमस का पर्व अब पूरी दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने लगा है। ऐसे तो यह ईसाई धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है लेकिन अब हर धर्म के लोग इसे लेकर उत्साहित रहते हैं। महीनों पहले से लोग क्रिमसम पार्टी की तैयारी में जुट जाते हैं। वहीं कई लोगों के मन में अब भी यह सवाल उठता है कि आखिर 25 दिसंबर के दिन क्यों क्रिसमस डे मनाया जाता है? तो आज हम आपको क्रिसमस से जुड़ी कई दिलचस्प बाते बताने जा रहे हैं। 

प्रभु यीशु का हुआ था जन्म

क्रिसमस का पर्व प्रभु यीशू के जन्म की खुशी में मनाई जाती है। प्रभु यीशू (जीसस क्राइस्‍ट) को भगवान का बेटा यानी Son Of God कहा जाता था।ईसाईयों की मान्यता के मुताबिक, प्रभु यीशू का जन्म 4 ईसा पूर्व हुआ था। उनके पिता का नमा यूसुफ और मां का नाम मरियम था। यीशू का जन्म एक गौशाला में हुआ था, जिसकी पहली खबर गडरिय सब को मिली थी और उसी समय एक तारे ने ईश्वर के जन्म की भविष्यवाणी को सत्य किया था।

यीशू ने 30 साल की आयु से मानव सेवा में जुट गए थे। वह घूम घूम कर लोगों को संदेश देते थे। प्रभु यीशू के इस कदम से यहूदी धर्म के कट्टरपंथी लोग नाराज हो गए और उनका विरोध करना शुरू कर दिया। फिर एक दिन रोमन गवर्नर के सामने प्रभु यीशू को लाया गया और फिर उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया।  मान्यताओं के मुताबिक, सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईश्‍वर के चमत्‍कार से यीशू फिर से जीवित हो गए और फिर उन्‍होंने ईसाई धर्म की स्‍थापना की।

क्रिसमस डे मनाने की शुरुआत कब हुई थी?

 ईसाईयों के पवित्र ग्रंथ बाइबल में प्रभु ईसा मसीह की जन्मतिथि की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी हर वर्ष 25 दिसंबर के दिन ही उनका जन्मदिन मनाया जाता है। 25 दिसंबर की तारीख को लेकर कई बार काफी विवाद भी हुआ है।  रोमन कैलंडर के अनुसार पहली बार 336 इसवीं को 25 दिसंबर को पहली बार आधिकारिक तौर पर यीशू का जन्मदिन मनाया गया। कहते हैं तब से ही 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाने लगा। वहीं यह भी कहा जाता है कि पश्चिमी देशों ने चौथी शताब्‍दी के मध्‍य में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाने की मान्‍यता दी। आधिकारिक तौर पर 1870 में अमेरिका ने क्रिसमस के दिन फेडरेल हॉलिडे की घोषणा की थी।

क्रिसमस ट्री का इतिहास

क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले हुई थी। उस वक्त फर नाम के एक पेड़ को सजाकर यह त्यौहार मनाया जाता था। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन बढ़ने लगा। मान्यता यह भी है कि ईसा मसीह के जन्म के वक्त सभी देवताओं ने सदाबहार पेड़ को सजाया था। तभी से इस पेड़ को क्रिसमस ट्री के नाम से पहचाना जाने लगा। क्रिसमस ट्री को कई गिफ्ट्स, लाइट्स, चॉकलेट और घंटियों समेत तमाम चीजों से सजाया जाता है।

सेंटा क्लॉज की कहानी

सेंटा के बिना तो क्रिसमस का पर्व अधूरा सा ही लगता है। सेंटा को लेकर प्रचलित एक कहानी के अनुसार, संत निकोलस का जन्म 340 ईस्वी की 6 दिसंबर को हुआ था. बताया जाता है कि बचपन में ही इनके माता पिता का निधन हो गया था। बड़े होने के बाद वह एक पादरी बन गए। उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था। कहा जाता है कि वह रात में बच्चों को इस लिए गिफ्ट देते थे ताकि कोई उन्हें देख न सके। मान्यता है कि आगे चलकर यही संत निकोलस बाद में सांता क्लॉज बन गए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैंइंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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