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Hindi News उत्तर प्रदेश ISI के मददगार थे अतीक-अशरफ? चिट्ठी से हुआ बड़ा खुलासा, आतंकी की ऐसे की थी मदद

ISI के मददगार थे अतीक-अशरफ? चिट्ठी से हुआ बड़ा खुलासा, आतंकी की ऐसे की थी मदद

अशरफ अहमद ने करेली से गिरफ्तार आतंकी जीशान कमर का पासपोर्ट बनवाने में मदद की थी। अशरफ ने पासपोर्ट अधिकारी को पत्र लिखकर जीशान कमर को जानने और पासपोर्ट बनाने की बात लिखी थी।

गिरफ्तार आतंकी जीशान कमर- India TV Hindi गिरफ्तार आतंकी जीशान कमर

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद के ISI कनेक्शन पर बड़ा खुलासा हुआ है। अतीक और अशरफ ISI के मददगार थे। पुलिस की थ्योरी को साबित करता सबसे बड़ा सबूत इंडिया टीवी के हाथ लगा है। दरअसल, अशरफ अहमद ने करेली से गिरफ्तार आतंकी जीशान कमर का पासपोर्ट बनवाने में मदद की थी। इसकी पुष्टि एक लेटर के जरिए हुई है, जो इंडिया टीवी के पास है, जिससे अतीक और अशरफ के आतंकी कनेक्शन का खुलासा होता है।

जीशान को लेकर अशरफ ने क्या लिखा?

अशरफ ने पासपोर्ट अधिकारी को पत्र लिखकर जीशान कमर को जानने और पासपोर्ट बनाने की बात लिखी थी। अपने लेटर हेड पर अशरफ ने जीशान कमर को भली-भांति जानने की बात कही थी। जीशान को पाकिस्तान में हथियार चलाने और प्रयागराज में रहकर आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी गई थी।

Image Source : IndiaTvअशरफ अहमद की चिट्ठी से ISI कनेक्शन का खुलासा

अतीक-अशरफ ने कबूला था ISI कनेक्शन 

ट्रेनिंग के बाद जीशान कुछ साथियों के साथ लखनऊ के रास्ते हथियारों को प्रयागराज ले आया और नैनी स्थित पोल्ट्री फार्म में छिपा दिया था। वह ऑनलाइन खजूर बेचने के बहाने आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहा था। 2021 में जीशान कमर की गिरफ्तारी हुई थी। पुलिस की पूछताछ में अतीक और अशरफ ने अपना ISI कनेक्शन कबूला था। पाकिस्तान से हथियार खरीदने की भी बात को स्वीकारा था। लेटर जनवरी 2017 को लिखा गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जीशान कमर के जरिए ISI से अतीक और अशरफ जुड़ गए थे। 

उमेश पाल हत्याकांड से जुड़े नए खुलासे 

इस बीच, ये भी खुलासा हुआ है कि अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या के लिए बेहद फूलप्रूफ प्लानिंग रची थी। इस प्लान के तहत अतीक के बेटे असद को इस मर्डर को लीड करना था और खुद को पुलिस से बचाना भी था, ताकि पुलिस को असद के बारे में कोई सुराग न मिले। प्लानिंग के तहत असद के चेहरे को ढंकने के लिए एक मंकी कैप मंगवाई गई थी, लेकिन बाद में उसका इस्तेमाल नहीं हुआ। पुलिस को ये मंकी कैप भी मिली है।

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अतीक-अशरफ ने मरने से पहले पुलिस को ये बताया था कि उनके कहने पर उमेश पाल की हत्या से ठीक एक दिन पहले अतीक की पत्नी शाइस्ता से सभी शूटर्स उसके चकिया वाले घर पर एक साथ मिले थे और वहीं पर शाइस्ता ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर सभी शूटर्स को दिया था। उस वक्त असद भी साथ में था। टूटे हुए घर पर सभी को बुलाने का मकसद था कि सभी को ये याद दिलाना कि ये साम्राज्य उमेश पाल की वजह से कम हो गया है, इसलिए शूटर्स काम करने को मना न करें। यहीं पर उमेश पाल की हत्या के प्लान को 'ऑपरेशन जानू' का नाम दिया गया था।