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Hindi News उत्तर प्रदेश अयोध्या निकाय चुनाव: हिंदू बहुल क्षेत्र में मुस्लिम युवक ने निर्दलीय जीता पार्षद का चुनाव, चौंका देंगे आंकड़े

अयोध्या निकाय चुनाव: हिंदू बहुल क्षेत्र में मुस्लिम युवक ने निर्दलीय जीता पार्षद का चुनाव, चौंका देंगे आंकड़े

अयोध्या निकाय चुनाव में एक हिंदू बहुल वार्ड में मुस्लिम युवक सुलतान अंसारी की जीत चर्चा में बनी हुई है। इस वार्ड में हिंदू समुदाय के 3844 मतदाताओं के मुकाबले सिर्फ़ 440 मुस्लिम वोटर हैं। फिर भी सुलतान अंसारी ने जीत हासिल की है।

Sultan Ansari- India TV Hindi Image Source : TWITTER/RITURAJFBD सुल्तान अंसारी

अयोध्या: यूपी निकाय चुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित कर दिए गए। यहां मुख्य रूप में हम आपको अयोध्या के बारे में बताने जा रहे हैं। अयोध्या में महापौर पद पर फिर से बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं एक हिंदू बहुल वार्ड में मुस्लिम युवक सुलतान अंसारी की जीत भी यहां चर्चा में बनी हुई है। 

दरअसल इस वार्ड का नाम राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के नायक-महंत राम अभिराम दास के नाम पर रखा गया है। यहां से अंसारी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया। अभिराम दास को दिसंबर 1949 में बाबरी परिसर में रामलला की मूर्ति रखने के लिए जाना जाता है, जिसके कुछ दिनों बाद मस्जिद को बंद कर दिया गया था और 1986 में इसके खुलने के बाद से आज तक उसी मूर्ति की राम जन्मभूमि में पूजा की जा रही है। 

क्या है वोटों का समीकरण

वोट प्रतिशत के हिसाब से इस वार्ड में हिंदू समुदाय के 3844 मतदाताओं के मुकाबले सिर्फ़ 440 मुस्लिम वोटर हैं। यहां 10 उम्मीदवार मैदान में थे। कुल पड़े 2388 मतों में अंसारी को 996 मत मिले जो करीब 42 फीसदी हैं। अंसारी ने पहली बार चुनाव में किस्मत आजमायी थी। उन्होंने राम जन्मभूमि के पास के हिंदू बहुल वार्ड में एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार नागेंद्र मांझी को 442 मतों के अंतर से हराया। भाजपा इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही। 

अंसारी ने बताया, 'यह अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और दोनों समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का सबसे अच्छा उदाहरण है। उन्होंने मेरा समर्थन किया और मेरी जीत सुनिश्चित की।' यह पूछे जाने पर कि क्या हिंदू बहुल क्षेत्र से चुनाव लड़ने में कोई हिचकिचाहट थी, उन्होंने जवाब दिया, 'चूंकि मैं इस क्षेत्र का निवासी हूं और मेरी जानकारी के अनुसार मेरे पूर्वज यहां 200 से अधिक वर्षों से रह रहे थे। जब मैंने अपनी इच्छा प्रकट की तो मेरे हिंदू दोस्तों ने पूरे दिल से मेरा समर्थन किया और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।' (इनपुट: भाषा)

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