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Hindi News उत्तर प्रदेश 2024 से पहले लिटमस टेस्ट, जानें कैसे घोसी उपचुनाव बना I.N.D.I.A. गठबंधन का पहला इम्तिहान

2024 से पहले लिटमस टेस्ट, जानें कैसे घोसी उपचुनाव बना I.N.D.I.A. गठबंधन का पहला इम्तिहान

मऊ जिले की घोसी सीट पर भाजपा और सपा की तरफ से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान हो गया है लेकिन अभी कांग्रेस और बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस दौरान खासतौर पर यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस यहां अपना कोई उम्मीदवार खड़ा करती है या फिर वह सपा को समर्थन देती है।

akhilesh yadav- India TV Hindi Image Source : PTI अखिलेश यादव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों का बना I.N.D.I.A. गठबंधन पहला इम्तिहान लेने जा रहा है। इस उपचुनाव में बीजेपी और सपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। इसकी झलक नामांकन के दौरान भी दिखी जिसमें भाजपा ने अपने गठबंधन के सारे साथियों का जमावड़ा लगाया था। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 5 सितंबर को होने वाले इस चुनाव में संख्या बल के लिए भले ही महत्वपूर्ण न हो, लेकिन परसेप्शन के हिसाब से इसके संदेश बहुत हैं। लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी एकता का एक मंच तैयार करने के लिए बने गठबंधन I.N.D.I.A. के लिए भी काफी अहम होगा। हालांकि इसके स्वरूप को लेकर अभी उहापोह की स्थिति बनी हुई है लेकिन यूपी में इसकी अगुवाई क्या अखिलेश यादव करेंगे।

क्या सपा को समर्थन देगी कांग्रेस?
घोसी सीट पर हो रहा उपचुनाव एक तरह से 2024 से पहले गैर भाजपा दलों का लिटमस टेस्ट होगा। जानकारों की मानें तो मऊ जिले की घोसी सीट पर भाजपा और सपा की तरफ से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान हो गया है लेकिन अभी कांग्रेस और बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस दौरान खासतौर पर यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस यहां अपना कोई उम्मीदवार खड़ा करती है या फिर वह सपा को समर्थन देती है।

सपा से विधायक रहे दारा सिंह चौहान के इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव हो रहा है। दारा भाजपा में शामिल हो चुके हैं और पार्टी ने उन्हें फिर इस सीट से उम्मीदवार बना दिया है। दूसरी ओर सपा ने इस सीट से अपने पुराने चेहरे सुधाकर सिंह को उतारा है। हालांकि इस सीट पर ओबीसी और ठाकुर समुदाय के अलावा मुस्लिम और राजभर भी काफी संख्या में हैं। चूंकि भाजपा ने ओबीसी पर दांव लगाया है और सपा ने ठाकुर समुदाय को टिकट दिया है, ऐसे में ये वोटर निर्णायक साबित हो सकते हैं।

अखिलेश ने पार्टी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को लेकर किया ये दावा
राजनीतिक दलों के आंकड़ों के मुताबिक़ यहां कुल मतदाता 4,30,452 हैं। इनमें लगभग 65 हज़ार दलित और 60 हज़ार मुसलमान मतदाता हैं। इसके अलावा 40 हज़ार यादव, 40 हज़ार राजभर, 36 हज़ार लोनिया चौहान, 16 हज़ार निषाद और बाक़ी पिछड़ी जातियां मौजूद हैं। सपा ने घोसी उपचुनाव में पार्टी के पुराने नेता और क्षत्रिय समाज से आने वाले सुधाकर सिंह पर दांव लगाया है। सुधाकर सिंह 1996 में नत्थूपुर से व परिसीमन के बाद घोसी विधानसभा क्षेत्र से 2012 में विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। जबकि 2017 में भाजपा के फागू चौहान व 2020 में हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सपा के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले घोसी उपचुनाव बड़ी परीक्षा होगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को लेकर सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि "सपा के उम्मीदवार सुधाकर करेंगे सुधार, घोसी फिर एक बार साइकिल के साथ।

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
राजनीतिक जानकर प्रसून पांडेय कहते हैं कि लोकसभा के पहले यह उपचुनाव सपा और भाजपा दोनों के लिए काफी अहम है। अभी कांग्रेस और बसपा की तरफ से कोई उम्मीदवार न होने के कारण चुनाव में मुकबला भाजपा और सपा के बीच है। हालांकि दारा सिंह का अपना एक अलग प्रभाव है। पांडेय ने कहा कि घोसी उपचुनाव सीट पर गठबंधन का हिस्सा होने के नाते सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा भी दारा सिंह चौहान की तरह ही सीधे-सीधे दांव पर लगी है। भाजपा के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान की जीत राजभर को गठबंधन में मजबूत बनाएगी।

एक अन्य विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा कहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे घोसी विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के 'पीडीए' की भी पहली परीक्षा होगी। सपा इस सीट को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहती है। यही वजह है कि सपा ने इस सीट से दो बार के विधायक रहे सुधाकर सिंह पर दांव लगाया है। उधर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का भी अग्निपरीक्षा है। कांग्रेस और बसपा ने अभी तक अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। इन दलों की ओर भी निगाहें हैं।

(इनपुट- IANS)

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