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पाकिस्तान में हिंदुओं के बाद अब अहमदियों पर अत्याचार, पुलिस की मदद से कट्टरपंथियों ने तोड़ी मस्जिद

पाकिस्तान से हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें अक्सर आती रहती हैं, लेकिन वहां अल्पसंख्यक शिया एवं अहमदिया मुसलमानों की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं है।

Ahmadi, Ahmadi Pakistan, Ahmadi Mosque, Ahmadi Mosque Pakistan, Ahmadi Mosque Demolished- India TV Hindi Image Source : TWITTER/MONA FAROOQ AHMAD कट्टरपंथी मौलवियों के साथ हिंसक भीड़ ने पाकिस्तान के गुजरांवाला में अहमदिया समुदाय की एक मस्जिद को तोड़ डाला।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान से हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें अक्सर आती रहती हैं, लेकिन वहां अल्पसंख्यक शिया एवं अहमदिया मुसलमानों की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं है। सुन्नी मुसलमान बहुल इस देश में आए दिन इन अल्पसंख्यक मुसलमानों पर अत्याचार रहता है। ऐसी ही एक घटना में कट्टरपंथी मौलवियों के साथ हिंसक भीड़ ने अहमदिया समुदाय की एक मस्जिद को तोड़ डाला। हैरानी की बात तो यह रही कि कट्टरपंथियों की इस करतूत को पुलिस का भी पूरा सहयोग मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला जिले के गारमोला विकरन गांव की है।

भीड़ ने मस्जिद की मीनारों और गुंबद को तोड़ डाला
पाकिस्तान में हुई यह घटना तो दुनिया के सामने भी नहीं आ पाती, लेकिन एक पत्रकार बिलाल फारुकी ने इस घटना से जुड़े वीडियो को ट्वीट कर दिया। इसके बाद तो जैसे सोशल मीडिया पर तूफान मच गया और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान सरकार को लानतों का सामना करना पड़ रहा है। फारुकी के मुताबिक, कट्टरपंथी मौलवियों के साथ एक बड़ी भीड़ अहमदिया समुदाय की मस्जिद पर पहुंची और वहां जमकर उत्पात मचाया। भीड़ के साथ पुलिस भी मौजूद थी और वह उनकी मदद कर रही थी। हिंसक भीड़ ने मस्जिद की मीनारों और गुंबद को तहस-नहस करके रख दिया।


अहमदियों को मुसलमान नहीं मानता पाकिस्तानी कानून
बता दें कि पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के करीब 40 लाख लोग रहते हैं। इस मुल्क में इनकी हालत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के जैसी ही है। पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदिया लोगों को गैर मुसलमान घोषित कर दिया था। इस मुल्क के कानून के मुताबिक, अहमदिया समुदाय के लोग खुद को मुसलमान नहीं कह सकते हैं, और न ही वे अपने प्रार्थनास्थल को मस्जिद कह सकते हैं। यहां तक कि वे अजान शब्द का इस्तेमाल भी नहीं कर सकते हैं। पिछले कुछ सालों में इनके ऊपर अत्याचार की घटनाओं में इजाफा ही देखने को मिला है। पहले भी यहां अहमदिया समुदाय की एक 100 साल पुरानी मस्जिद को तोड़ दिया गया था।

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