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Hindi News विदेश एशिया पाक पीएम इमरान खान की फिर हुई किरकिरी, टैगोर की लाइनों को बताया खलील जिब्रान का

पाक पीएम इमरान खान की फिर हुई किरकिरी, टैगोर की लाइनों को बताया खलील जिब्रान का

इस ट्वीट पर 23 हजार लाइक मिले और पांच हजार से अधिक लोगों ने इसे रीट्वीट किया जबकि दो हजार से अधिक लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी।

पाक पीएम इमरान खान की फिर हुई किरकिरी, टैगोर की लाइनों को बताया खलील जिब्रान का- India TV Hindi पाक पीएम इमरान खान की फिर हुई किरकिरी, टैगोर की लाइनों को बताया खलील जिब्रान का

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारतीय कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के एक प्रसिद्ध उद्धरण का श्रेय गलत तरीके से लेबनानी-अमेरिकी कवि खलील जिब्रान को देने पर बुधवार को ट्रोल किया गया। खान ने एक प्रेरणादायक उद्धरण साझा किया था जिसका श्रेय उन्होंने लेबनानी-अमेरिकी कवि खलील जिब्रान को दे दिया। उनकी इस गलती पर लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। 

उनके द्वारा साझा किया गया प्रेरणादायक उद्धरण था, ‘‘मैं सोया और सपना देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है।’’ कवि रवींद्र नाथ टैगोर का यह विचार पूरी दुनिया में अपनी जगह बनाए है। इसका इंग्लिश वर्जन "I slept and I dreamed that life is all joy. I woke and I saw that life is all service. I served and I saw that service is joy." बुधवार को इमरान खान ने ट्वीट किया था जबकि असल में इसका असली वर्जन ये है I slept and dreamt that life was joy. I awoke and saw that life was service. I acted and behold, service was joy.

पाक पीएम इमरान खान की फिर हुई किरकिरी, टैगोर की लाइनों को बताया खलील जिब्रान का

रवींद्र नाथ टैगोर के इस विचार को खलील जिब्रान का बताने पर पाकिस्तान के लोगों ने ही उन्हें इस गलती के लिए खरी खोटी सुनाई। ताहा सिद्दिकी ने लिखा, हम सभी को पता है कि आपकी जीत में व्हाट्सएप का अहम योगदान था। लेकिन ऑनलाइन मिलने वाली जानकारी को शेयर करना बंद करिए, खासकर तब जब वे गलत हों। इसी की तरह, जिसे खलील जिब्रान ने नहीं बल्कि रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा है।

इस ट्वीट पर 23 हजार लाइक मिले और पांच हजार से अधिक लोगों ने इसे रीट्वीट किया जबकि दो हजार से अधिक लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी। इस ट्वीट के साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘‘जो भी लोग जिब्रान के शब्दों में ज्ञान को खोजते हैं और उसे पा लेते हैं, वे कुछ इस तरह संतोष का जीवन भी पा लेते हैं।’’

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